राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की हाई सिक्योरिटी वाली रोहिणी कोर्ट में बीते दिनों हुई गोलीबारी की घटना के बाद अदालतों में सुरक्षा और सुरक्षा से संबंधित मुद्दों पर लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं। अब इस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया और कहा कि अदालतों में पुलिसकर्मियों को पर्याप्त संख्या में उचित एवं प्रभावी तरीके से तैनात करने की आवश्यकता है।
मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने दिल्ली पुलिस, दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के साथ ही दिल्ली हाई कोर्ट बार एसोसिएशन को नोटिस जारी किया तथा उन्हें अदालतों में सुरक्षा बनाए रखने के मुद्दे पर हलफनामे या रिपोर्ट के रूप में सुझाव देने का निर्देश दिया।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि हमने रोहिणी अदालत में हुई घटना पर स्वत: संज्ञान लिया है। यह अदालत दिल्ली में सभी अदालत परिसरों में सुरक्षा के लिए प्रतिवादियों से मूल्यवान सुझाव चाहती है। पीठ ने कहा कि अदालतों में प्रवेश के लिए सुरक्षा की चाक चौबंद व्यवस्था होनी चाहिए, मेटल डिटेक्टर लगाए जाने चाहिए, वाहन निगरानी व्यवस्था होनी चाहिए और पुलिसकर्मियों को उचित प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि 24 सितंबर को रोहिणी अदालत में दो हमलावरों ने जेल में बंद गैंगस्टर जितेंद्र गोगी की गोली मारकर हत्या कर दी थी और पुलिस ने जवाबी कार्रवाई में दोनों हमलावरों को मार गिराया था। प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण ने इस घटना पर गंभीर चिंता जताई थी और इस संबंध में दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से बात कर उन्हें यह सुनिश्चित करने के लिए पुलिस एवं बार से चर्चा करने की सलाह दी थी कि अदालत का कामकाज प्रभावित न हो। मामले में अगली सुनवाई 5 अक्टूबर को होगी।