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ट्रांसफर आर्डर को चुनौती देने वाली NCLT सदस्य की याचिका पर कल सुनवाई करेगा दिल्ली HC

राजेश्वर वी के की याचिका को न्यायमूर्ति वी कामेश्वर राव के समक्ष एक जून को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।

दिल्ली हाई कोर्ट सोमवार को राष्ट्रीय कंपनी विधि अधिकरण (एनसीएलटी) के कार्यवाहक अध्यक्ष द्वारा अप्रैल और मई में जारी किए गए ट्रांसफर के आदेशों के विरूद्ध दायर याचिका पर सुनवाई करेगा। एनसीएलटी के सदस्य (न्यायिक) राजेश्वर वी के ने उन्हें एनसीएलटी मुम्बई से कोलकाता तबादला किए जाने जाने के आदेश को निरस्त करने की मांग करते हुए यह अर्जी दायर की है।
राजेश्वर वी के की याचिका को न्यायमूर्ति वी कामेश्वर राव के समक्ष एक जून को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है। उन्होंने अधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष बी एस वी प्रकाश कुमार द्वारा एनसीएलटी चेन्नई से अपना तबादला मुंबई पीठ में करने तथा आठ अन्य सदस्यों का तबादला किए जाने के दो अन्य आदेशों को भी चुनौती दी है। उन्होंने इन आदेशों को अवैध बताया है।
राजेश्वर ने कहा है कि कार्यकारी अध्यक्ष द्वारा 30 अप्रैल और 12 मई को जारी किए गए आदेशों से एनसीएलटी सदस्यों की पदस्थापना में फेरबदल हुआ है। उन्होंने कोर्ट से अनुरोध किया है कि वह कुमार के स्थान पर किसी पात्र सदस्य को कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त करने का निर्देश दे। उन्होंने वकील वंदना सहगल के मार्फत अपनी अर्जी दायर की है। 
राजेश्वर को तीन मई, 2019 को एनसीएलटी का सदस्य नियुक्त किया गया था और उनकी मुम्बई पीठ में पदस्थापना की गयी थी। अर्जी में अनुरोध किया गया है कि सांविधिक प्रावधानों के अनुसार जबतक नियमित अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं हो जाती है तबतक यथास्थिति बनाकर रखी जाए तथा अध्यक्ष या कार्यकारी अध्यक्ष को दिल्ली स्थित मुख्य पीठ में रहना चाहिए। 
अर्जी में कहा गया है कि एनसीएलटी का सदस्य बनाए जाने से पहले कुमार ने बस जिला न्यायाधीश तथा कंपनी विधि बोर्ड के सदस्य के तौर पर काम किया है और वह हाई कोर्ट के न्यायाधीश नहीं है, इसलिए वह अध्यक्ष नियुक्त किए जाने के योग्य नहीं है, खासकर तब जब हाई कोर्ट के सेवानिवृत न्यायाधीश राजेश दयाल खरे उपलब्ध हैं और इलाहाबाद पीठ में वह अधिकरण के सदस्य (न्यायिक) रूप में काम कर रहे हैं।

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