उत्तर-पूर्व दिल्ली दंगा मामले में पिंजरा तोड़ और जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय की छात्रा कार्यकर्ता देवांगना कलिता और नताशा नरवाल और जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्र आसिफ इकबाल तन्हा को जमानत देने के फैसले पर दिल्ली हाई कोर्ट ने गुरुवार को निचली अदालत ‘‘तत्परता’’ से गौर करने को कहा। बता दें कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगे से जुड़े मामले में इन तीनों छात्रों को 15 जून को अदालत से जमानत मिल गई है।
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति एजे भंभानी की पीठ ने आरोपियों के वकील और दिल्ली पुलिस से संयुक्त रूप से दोपहर 12 बजे निचली अदालत के समक्ष रिहाई का मामला रखने को कहा। हाई कोर्ट दोपहर साढ़े 3 बजे मामले पर फिर सुनवाई करेगा। अदालत तीनों छात्रों की जेल से तत्काल रिहाई की याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें कहा गया है कि जमानत संबंधी आदेश पारित होने के 36 घंटे बाद भी आरोपियों को जेल से रिहा नहीं किया गया है।
पीठ ने कहा, ‘‘निचली अदालत से उम्मीद की जाती है कि वह तत्परता से उसके समक्ष रखे मामले पर फैसला करेगी।’’ दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल एवं न्यायमूर्ति ए जे भाम्भनी की पीठ ने मार्च महीने में इकबाल तन्हा की जमानत याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखा था। इकबाल तन्हा ने निचली अदालत के 26 अक्तूबर 2020 के उस निर्णय को हाई कोर्ट में चुनौती दी है, जिसमें निचली अदालत ने तन्हा को जमानत देने से इनकार कर दिया था।
गौरतलब है कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ फरवरी 2020 में हुए प्रदर्शन के दौरान भड़की हिंसा में 50 से अधिक लोगों की मौत हुई थी और लगभग 200 लोग घायल हो गए थे। इस हिंसा में भारी मात्रा में संपत्ति का भी नुक्सान हुआ था।