दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक हाथी को कब्जे में लेने की आम आदमी पार्टी सरकार के कुछ अधिकारियों की कोशिश के खिलाफ दायर एक अवमानना याचिका पर दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है। दरअसल, याचिका में आरोप लगाया गया है कि हाथी को कब्जे में नहीं लेने संबंधी न्यायिक आदेश का उल्लंघन किया जा रहा है। साथ ही, आरोपी अधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्रवाई करने का अनुरोध किया गया है।
मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की पीठ ने इस संबंध में दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया है और हाथी के मालिक की याचिका पर अपना रूख बताने को कहा है। इस मामले की अगली सुनवाई पांच अगस्त को होने की संभावना है।
हाथी के मालिक यूसुफ अली के अनुसार उच्च न्यायालय ने पांच अप्रैल और 14 मई को सरकार को निर्देश दिये थे कि उनके स्वामित्व वाले किसी भी हाथी को कब्जे में नहीं लिया जाये। हालांकि, वन्यजीव और वन विभाग के अधिकारियों ने छह जुलाई को अदालत के आदेशों का उल्लंघन करते हुए लक्ष्मी नाम के हाथी को अपने कब्जे में लेने की कोशिश की।
अली ने आरोप लगाया कि उन्होंने और उनके परिवार के सदस्यों ने जब रोकने की कोशिश की तब अधिकारियों ने उनकी पत्नी से मारपीट की तथा उसे घायल कर दिया। इसके अलावा, हाथी पर पत्थर भी फेंका जिस पर वह अक्षरधाम के निकट जंगल में चला गया। उन्होंने आरोप लगाया कि यहां तक कि पुलिस ने वन्यजीव और वन अधिकारियों का पक्ष लिया तथा सरकारी सेवकों को कार्य में बाधा डालने को लेकर उनके एवं उनकी पत्नी के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की।