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दिल्ली हाई कोर्ट ने जेल में बंद PFI नेता अबुबकर की नजरबंदी की याचिका खारिज की

दिल्ली उच्च न्यायालय ने जेल में बंद पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के पूर्व अध्यक्ष ई. अबुबकर को नजरबंदी में भेजने से इनकार कर दिया।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने जेल में बंद पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के पूर्व अध्यक्ष ई. अबुबकर को नजरबंदी में भेजने से इनकार कर दिया।न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति तलवंत सिंह की पीठ ने कहा कि अबुबकर को उपचार के लिये अस्पताल में भर्ती कराया जाएगा।पीठ ने कहा, “जब आप चिकित्सा आधार पर जमानत मांग रहे हैं तो हम आपको घर क्यों भेंजे? हम आपको अस्पताल भेजेंगे।”अबुबकर ने निचली अदालत के चिकित्सा आधार पर रिहा नहीं करने के आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी।अबुबकर (70) के वकील ने पिछले महीने कहा था कि उनको कैंसर और पार्किंसंस रोग है और वह “गंभीर पीड़ा” में हैं, जिसके लिए तत्काल इलाज की आवश्यकता है।
अबूबकर को इस साल की शुरुआत में प्रतिबंधित संगठन पर व्यापक कार्रवाई के दौरान राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) द्वारा गिरफ्तार किया गया था और वर्तमान में वह न्यायिक हिरासत में हैं।पीठ ने सोमवार को टिप्पणी की कि “नजरबंद” रखने के लिए कानून में कोई प्रावधान नहीं है और निर्देश दिया कि अबुबकर को 22 दिसंबर को ‘ऑन्कोसर्जरी’ समीक्षा के लिए हिरासत में एम्स में “सुरक्षित रूप से ले जाया जाए” और उनके बेटे को भी परामर्श के समय उपस्थित रहने की अनुमति दी।अदालत ने कहा, “हम आपको नजरबंदी नहीं दे रहे हैं। कानून में नजरबंद किए जाने का कोई प्रावधान नहीं है। माननीय उच्चतम न्यायालय के पास जो शक्तियां हैं, वो इस अदालत के पास नहीं हैं।”
न्यायमूर्ति मृदुल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, “हमें इसमें कुछ भी उचित नहीं दिख रहा है, क्योंकि किसी सर्जरी की सिफारिश नहीं की गई है। सबसे पहले तो हम आपको नजरबंदी में नहीं भेज सकते। यदि आपकी चिकित्सा स्थिति में अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता है, तो हम अस्पताल में भर्ती होने का निर्देश दे सकते हैं। हम एक परिचारक की अनुमति दे सकते हैं। हम किसी और चीज की अनुमति नहीं दे रहे हैं।”अदालत ने कहा, “वह इलाज के हकदार हैं और हम प्रदान करेंगे।”पीठ ने मामले को अगले साल जनवरी में विचार के लिए सूचीबद्ध किया और जेल चिकित्सा अधीक्षक को एम्स के ऑन्कोसर्जरी विभाग के साथ परामर्श पर एक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।
अबुबकर की ओर से पेश वकील अदित पुजारी ने तर्क दिया कि उन्हें निरंतर निगरानी और उपचार की आवश्यकता है और अगर उन्हें नजरबंद भी कर दिया जाता है, तो जांच एजेंसी के लिए कोई “गुणात्मक बदलाव” नहीं होगा।एनआईए की ओर से पेश विशेष लोक अभियोजक अक्षय मलिक ने कहा कि आरोपी को “सर्वश्रेष्ठ संभव उपचार” प्रदान किया जा रहा है और वह (आरोपी) 22 दिसंबर को एक ऑन्कोलॉजिस्ट से मिलने वाला है।पिछले हफ्ते, उन्होंने कहा था कि अबुबकर बिल्कुल ठीक हैं और उपचार चल रहा है।पिछले महीने, अदालत ने जोर देकर कहा था कि अभियुक्त को अपेक्षित चिकित्सा सुविधा प्रदान की जाएगी, जबकि इस दलील को खारिज कर दिया था कि उसे नजरबंद किया जाना चाहिए।
अदालत ने कहा था, “हम ऐसा करने के इच्छुक नहीं हैं। एम्स देश का एक प्रमुख अस्पताल है। यदि आप इसे नजरबंदी के बहाने के रूप में उपयोग कर रहे हैं, तो हम इसकी अनुमति नहीं दे रहे हैं। हम केवल उनकी चिकित्सा स्थिति से चिंतित हैं।”सरकार ने 28 सितंबर को कड़े आतंकवाद विरोधी कानून यूएपीए के तहत पीएफआई और उसके कई सहयोगी संगठनों पर आईएसआईएस जैसे वैश्विक आतंकी समूहों के साथ “संबंध” होने का आरोप लगाते हुए पांच साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया।

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