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पतंगबाजी पर बैन से दिल्ली HC का इनकार, कहा-पतंग उड़ाना 'सांस्कृतिक गतिविधि'

दिल्ली हाई कोर्ट ने पतंगबाजी बैन लगाने कि मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। हाई कोर्ट ने पतंग उड़ाने पर बैन लगाने की मांग वाली जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि यह एक सांस्कृतिक गतिविधि है। हालांकि, कोर्ट ने दिल्ली सरकार और पुलिस प्रशासन को कुछ जरूरी निर्देश भी दिए हैं।

दिल्ली हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमोनियम प्रसाद पतंग पर बैन लगाने की अर्जी पर सुनवाई कर रहे थे। पीठ ने कहा कि दिल्ली सरकार और पुलिस प्रशासन नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) द्वारा चाइनीज मांझा (सिंथेटिक) बैन करने का जो फैसला है उसको सख्ती से लागू करवाएं।

याचिका में क्या कहा गया?

दरअसल, अधिवक्ता संसार पाल सिंह द्वारा दायर जनहित याचिका में कहा गया था कि राष्ट्रीय राजधानी में पतंगबाजी से इंसानों और पक्षियों का जीवन और सुरक्षा खतरे में है। याचिका में पतंगों के उड़ने, बनाने, बेचने-खरीदने, भंडारण और परिवहन पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग करते हुए कहा गया है कि यह एकमात्र समाधान है, क्योंकि मांझे से हादसा होने पर दोषियों को पकड़ना मुश्किल होता है।

याचिका के अनुसार, ऐसी घटनाएं होने पर कुछ मामलों में तो पतंग के मांझे से दुर्घटना होने पर आरोपी के बारे में पता लगना या उसकी जिम्मेदारी तय करने के लिए उसे पकड़ना कुल मिलाकर असंभव रहता है। याचिका में यह भी कहा गया है कि पतंगबाजी की गतिविधि के दौरान प्रतियोगी एक-दूसरे की पतंग की डोरी काटने में लगे रहते हैं।

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वकील की ओर से दलील दी गई है कि अक्सर देखा जाता है कि पतंगबाज चाहता है कि कांच या धातु की परत वाले मांझे का इस्तेमाल करे, जो कि काफी खतरनाक है। याचिका के अनुसार, स्ट्रिंग को तोड़ना कठिन बनाने के लिए, उन्हें एक मजबूत स्ट्रिंग की आवश्यकता होती है, जिसे लोकप्रिय रूप से चीनी मांझा के रूप में जाना जाता है, जिसमें निर्माता एक कांच का लेप लगाते हैं, जो कई बार मनुष्यों और पक्षियों को चोट पहुंचाता है।

याचिका में यह भी कहा गया है कि दिल्ली पुलिस अधिनियम, 1978 की धारा 94 के अनुसार पतंगबाजी की गतिविधि पहले से ही प्रतिबंधित है, जिसमें यह प्रावधान किया गया है कि कोई भी व्यक्ति पतंग या ऐसी कोई अन्य चीज नहीं उड़ाएगा, जिससे व्यक्तियों, जानवरों/पक्षियों या संपत्ति को नुकसान पहुंच सकता है। याचिकाकर्ता ने इस पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाने की मांग करते हुए 'चीनी मांझा' के कारण हुई घातक दुर्घटनाओं का भी हवाला दिया है।