दिल्ली हिंसा मामले में गिरफ्तार कांग्रेस की पूर्व पार्षद इशरत जहां को दिल्ली हाई कोर्ट से झटका लगा है। हाई कोर्ट ने इशरत की यूएपीए मामले में जांच पूरी करने के लिए समय बढ़ाने के अनुरोध वाली याचिका को खारिज कर दिया है। याचिका में दंगों की जांच कर रही दिल्ली पुलिस को 90 दिनों के अतिरिक्त 60 दिन का और समय दिए जाने के फैसले को चुनौती दी थी।
इशरत ने निचली अदालत द्वारा 15 जून को दिए गए आदेश को चुनौती दी थी। याचिकाकर्ता ने कहा था कि कानून ने जांच के लिए 90 दिनों का समय दिया है और अगर अतिरिक्त समय दिया जाना कानून का उल्लंघन और आरोपित के मौलिक अधिकार का भी उल्लंघन है।
साथ ही उन्होंने कहा था कि जांच के लिए अतिरिक्त समय दिए जाने की स्थिति में आरोपित जमानत नहीं मांग सकता और यह उसके मौलिक अधिकार का हनन है। उन्होंने मांग की थी कि तथ्यों पर गौर करके जांच के लिए अतिरिक्त समय दिए जाने के निचली अदालत के आदेश को निरस्त किया जाए।
गौरतलब है कि दिल्ली के खुरेजी में 26 फरवरी को हुई हिंसा के सिलसिल में इशरत जहां को गिरफ्तार किया गया था। इशरत खुरेजी में सीएए और एनआरसी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रही थी। पुलिस का आरोप है कि दंगा भड़कान में इशरत जहां का हाथ है।
इसमें इशरत के अलावा खालिद, समीर प्रधान खुरेजी, सलीम, शरीफ, विक्रम ठाकुर, अजार उर्फ भूरा, इशाक, हाजी इकबाल, हाशिम, समीर, बिलाल, यामीन कूलर वाला, साबू अंसारी व अन्य लोगों को आरोपित बनाया गया है। सभी के खिलाफ दंगे, हत्या के प्रयास समेत विभिन्न संबंधित धाराएं लगाई गई हैं।