राजीव गांधी ने बैन लगा दिया था
वर्ष 1988 में सलमान रुश्दी की विवादास्पद किताब 'द सैटेनिक वेर्सेस' के इम्पोर्ट पर राजीव गांधी ने बैन लगा दिया था। जिसके खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका लगी थी, जिसपर की कोर्ट ने सुनवाई बंद कर दी है। कोर्ट ने कहा की अफसर कोई भी नोटीफिकेशन पेश करने में नाकाम रहे है। इससे यह माना जा सकता है कि की बैन अब मौजूद ही नहीं है। जस्टिस सौरभ बनर्जी और रेखा पल्ली की बेंच ने यह फैसला सुनाया था।
वर्ष 2019 में संदीपन खान नाम के एक व्यक्ति ने याचिका दायर की
इस किताब के बैन को लेकर वर्ष 2019 में संदीपन खान नाम के एक व्यक्ति ने याचिका दायर की थी। याचिका में शख्स ने कहा की उन्होंने 'द सैटेनिक वेर्सेस' किताब मंगवाई थी, लेकिन कस्टम के 36 साल पहले के नोटिफिकेशन की वजह से बुक इम्पोर्ट नहीं हो सकी। हालांकि नोटिफिकेशन किसी आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध नहीं है और न ही किसी अधिकारी के पास इसके दस्तावेज है।
मुस्लिम समाज के लोगो ने आपत्ति दर्ज कराई थी
'द सैटेनिक वेर्सेस' किताब पर मुस्लिम समाज के लोगो ने आपत्ति दर्ज कराई थी, क्योंकि 'द सैटेनिक वेर्सेस' का अर्थ 'शैतानी आयतें ' होता है। रुश्दी की इस किताब में एक काल्पनिक कहानी है। कहानी में दो फ़िल्मी कलाकार प्लेन के जरिये मुंबई से लंदन जा रहे होते है। इसमें एक फ़िल्मी दुनिया का सुपरस्टार जिबरील है जबकि दूसरा वॉइस ओवर आर्टिस्ट सलादीन है। बीच रास्ते में इसे कोई सिख आतंकी हाईजैक कर लेता है और अटलांटिक महासागर के ऊपर प्लेन में बम ब्लास्ट कर देता है। इस घटना में जिबरील और सलादीन सागर में गिरकर बच जाते है। जिसके बाद दोनों की जिंदगी बदल जाती है।
किताब को ईश निंदा माना गया
रुश्दी ने कहानी में जिबरील और सलादीन के किरदार को इस तरह दिखाया है, जिसे ईश निंदा माना गया। इस कड़ी में भारत ने सबसे पहले इस किताब को बैन किया था, उसके बाद पाकिस्तान समेत कई अन्य मुस्लिम देशो में इस पर प्रतिबंध लगा। 1989 में इस किताब के खिलाफ मुंबई में मुस्लिम समुदाय द्वारा बड़ा प्रदर्शन हुआ था। उस प्रदर्शन में पुलिस की गोलीबारी में लगभग 12 लोग मरे गए थे तथा 40 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।
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