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दिल्ली उच्च न्यायालय ने निजी स्कूल को फीस न भरने पर छात्रों का नाम काटने से रोका

छात्रों ने कहा कि स्कूल उन्हें फीस चुकाने या स्थानांतरण प्रमाणपत्र ले जाने के लिए कथित तौर पर विवश कर रहा है।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने एयर फोर्स बाल भारती स्कूल को ट्यूशन फीस और अन्य शुल्क न चुकाने के लिए नौंवी कक्षा के ईडब्ल्यूएस श्रेणी के 10 छात्रों के नाम काटने से बुधवार को रोक दिया। न्यायमूर्ति राजीव शकधर ने 10 छात्रों की याचिका पर अंतरिम आदेश दिया। छात्रों ने कहा कि स्कूल उन्हें फीस चुकाने या स्थानांतरण प्रमाणपत्र ले जाने के लिए कथित तौर पर विवश कर रहा है। 
अदालत ने याचिका पर स्कूल और दिल्ली सरकार से जवाब मांगे और इस पर सुनवाई के लिए अगले साल सात फरवरी की तारीख तय की। छात्रों ने वकील अशोक अग्रवाल के जरिए दायर की याचिका में दावा किया कि स्कूल ट्यूशन फीस और अन्य शुल्क न चुकाने पर उन्हें बर्खास्त करने की धमकी दे रहा है जबकि उन्हें आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) श्रेणी के तहत आठवीं कक्षा के आगे और 12वीं कक्षा तक अपनी पढ़ाई जारी रखने का कानूनी अधिकार है। 
याचिका में कहा गया है कि यह स्कूल सरकारी जमीन पर बना है और दिल्ली के बच्चों को निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा अधिकार नियम 2011 के प्रावधानों के अनुसार, सरकारी जमीन पर बने निजी स्कूल आठवीं कक्षा के आगे और 12वीं कक्षा तक ईडब्ल्यूएस छात्रों को पढ़ने देने के लिए बाध्य है। 
इन छात्रों ने अकादमिक सत्र 2018-19 में आठवीं कक्षा पास कर ली और अब नौंवी कक्षा में पढ़ रहे हैं। ज्यादातर बच्चे निजामुद्दीन बस्ती में रहते हैं। छात्रों ने अपनी याचिका में कहा कि उनके माता-पिता ने मई में स्कूल को व्यक्तिगत तौर पर पत्र लिखा था जिसमें उनके बच्चों को ईडब्ल्यूएस श्रेणी के तहत 12वीं तक वहां पढ़ाई जारी रखने देने का अनुरोध किया था लेकिन प्रशासन से उन्हें कोई जवाब नहीं मिला। 
बच्चों को 13 अगस्त को स्कूल से अंतिम चेतावनी मिली जिसमें उन्हें दो अकादमिक तिमाही के लिए फीस भरने या स्कूल से अपना नाम कटने के लिए तैयार रहने को कहा गया। छात्रों ने 13 अगस्त के पत्रों को लागू करने से स्कूल को रोकने के लिए निर्देश देने की अपील की। 

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