दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से शुक्रवार को कहा कि वह याचिका में उठाई गई चिंताओं की पड़ताल करे जिसमें कथित तौर पर पशुओं के इलाज में इस्तेमाल कुछ दवाओं की वजह से गिद्धों की आबादी में गिरावट आ रही है। अदालत ने इसके साथ ही सरकार से कहा कि वह खाद्य श्रृंखला में अहम कड़ी इन पक्षियों को बचाने के लिए भी कदम उठाए।
न्यायालय ने केंद्र को दिेए निर्देश
जानकारी के मुताबिक कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली पीठ ने अधिवक्ता गौरव कुमार बंसल की जनहित याचिका पर केंद्र, केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन, राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण, भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान के साथ-साथ बम्बई नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया।पीठ ने कहा, ‘‘हम प्रतिवादी संख्या 1-3 (केंद्र) को निर्देश देते हैं कि वह याचिका में उठाए गए पहलू की पड़ताल करे और वह हर कदम उठाए जो आहार श्रृंखला की अहम कड़ी और पर्यावरण को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण गिद्धों को बचाने के वास्ते जरूरी है। इस मामले में चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल किया जाए।’’ उल्लेखनीय है कि इस पीठ में न्यायमूर्ति नवीन चावला भी शामिल हैं।
हर कदम उठाए जो आहार श्रृंखला की अहम कड़ी हो
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक याचिकाकर्ता ने अपनी अर्जी में गिद्धों को बचाने और उनके सरंक्षण की मांग की है। साथ ही दावा किया है कि पशुओं के इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली कुछ दवाएं बाजार में उपलब्ध हैं, जो गिद्धों के लिए विषैले और हानिकारक हैं। याचिका में कहा गया है कि इसके बावजूद अधिकारियों द्वारा अबतक इन्हें प्रतिबंधित करने के लिए कदम नहीं उठाए गये हैं।