दिल्ली हाई कोर्ट ने शहर में नगर निगम प्राधिकारियों को उनके द्वारा स्थापित किए गए 100 से अधिक शिशु स्तनपान कक्षों का रखरखाव करने और इनकी संख्या जल्द से जल्द बढ़ाने का निर्देश दिया है। मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की पीठ ने दिल्ली सरकार से शिशु देखभाल कक्षों की स्थापना के संबंध में उसकी मसौदा नीति को भी अंतिम रूप देने को कहा ताकि सार्वजनिक जगहों पर बच्चों को स्तनपान कराने और उनके डायपर बदलने की सुविधा हो।
कोर्ट ने कहा कि चूंकि मसौदा नीति तैयार है और राष्ट्रीय राजधानी में स्तनपान कक्ष बनाये गये हैं तथा ऐसे और अधिक कक्षों का निर्माण किया जा रहा है, ऐसे में जनहित याचिका में उठाये गये इस मुद्दे पर नजर रखे जाने की जरूरत नहीं है। कोर्ट ने याचिका के संदर्भ में अपनी टिप्पणियों और निर्देशों के साथ मामले का निपटारा कर दिया।
यह याचिका एक मां और उसके नवजात बच्चे की ओर से दायर की गयी थी जिसमें सार्वजनिक जगहों पर स्तनपान सुविधा का अनुरोध किया गया था। दिल्ली सरकार ने कोर्ट को बताया कि उसके मसौदे में शिशु देखभाल कक्ष या नर्सिंग केंद्र या सार्वजनिक जगहों पर शिशुओं को स्तनपान कराने के उद्देश्य से स्तनपान कक्ष के निर्माण का प्रस्ताव है और सुझाव मांगने के लिये इसे सार्वजनिक किया गया है।
दिल्ली सरकार ने यह भी कहा कि मसौदा नीति के संबंध में सभी भूस्वामी विभागों और अन्य लोक व्यवहार विभागों की टिप्पणियां जानने के इरादे को इसे उन्हें भी वितरित किया गया है। वकील अनिमेष रस्तोगी की ओर से दायर याचिका में यह दलील दी गयी है कि ऐसी सुविधा की कमी के कारण महिलाओं के निजता के अधिकार का ‘‘हनन’’ हो रहा है।