नयी दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने फिरौती के लिए एक युवक का अपहरण कर उसकी हत्या करने और शव को जलाने के मामले में तीन लोगों को सुनाई गई उम्रकैद की सजा को बरकरार रखते हुए कहा कि यह भयावह वारदात बताती है कि लोग अपने लालच में किस कदर अमानवीय कार्य कर सकते हैं।
अदालत ने कहा कि रुनीत गुलाटी, अभय दीवान और जतिन ने जिस तरीके से शिवम कपूर की हत्या की और उसके शव को ठिकाने लगाने का प्रयास किया, इसने न्यायपालिका को स्तब्ध कर दिया है। ऐसे में निचली अदालत द्वारा उन्हें दोषी ठहराने के फैसले में हस्तक्षेप करने की कोई वजह नहीं है।
न्यायमूर्ति मनमोहन और न्यायमूर्ति संगीता ढींगरा सहगल की पीठ ने कहा, ‘‘इस मामले में आवेदनकर्ता (दोषी) में अनैतिकता स्पष्ट दिखती है। यह बेहद बर्बर हत्या का मामला है जिसमें क्रूरता और पाशविकता भरी पड़ी है। जिस तरीके से यह अपराध हुआ वह आरोपियों की मानसिक स्थिति के बारे में सोचने पर विवश करती है कि कैसे रात के अंधेरे में उन्होंने बेहद शांत तरीके से इसे अंजाम दिया है।’’
अदालत ने भारतीय दंड संहिता के तहत गुलाटी, धवन और जतिन को हत्या, फिरौती के लिए अपहरण, सबूत मिटाने, आपराधिक षड्यंत्र रचने के लिए सुनाई गई उम्रकैद को बरकरार रखा। अदालत ने हालांकि दीवान की पत्नी महिमा को हत्या के मामले से बरी कर दिया लेकिन उसे भी फिरौती के लिए अपहरण, सबूत मिटाने, आपराधिक षड्यंत्र रचने का दोषी माना। अदालत ने चार सप्ताह के भीतर समर्पण करने को कहा है।