राष्ट्रीय राजधानी के उत्तरी-पूर्वी इलाके में साल 2020 में हुई हिंसा की घटनाएं पलभर के आवेश में नहीं बल्कि एक सुनियोजित ढंग से की गई थी। दिल्ली हाई कोर्ट ने हिंसा से जुड़े एक आरोपी को जमानत याचिका खारिज करते हुए यह अहम टिप्पणी की। इस दौरान हाईकोर्ट ने हिंसा की कुछ वीडियो का भी हवाला दिया।
जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने सोमवार को दिल्ली पुलिस के हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल की कथित हत्या से संबंधित मामले में आरोपी मोहम्मद इब्राहिम द्वारा दाखिल जमानत याचिका पर विचार करते हुए कहा कि घटनास्थल के आसपास के इलाकों में सीसीटीवी कैमरों को व्यवस्थित रूप से नष्ट कर दिया गया।
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दिल्ली हाई कोर्ट ने सुनवाई में कहा कि वीडियो के मुताबिक, प्रदर्शनकारियों का आचरण स्पष्ट रूप से दिखाता है कि ये सरकार के कामकाज को अस्त-व्यस्त करने के साथ-साथ शहर के सामान्य जीवन को बाधित करने के लिए पहले से प्लान किए बैठे थे, यानी पूरी तरह सोची समझी, सुनियोजित साजिश थी।
हाई कोर्ट ने कहा कि तथ्यों से स्पष्ट है कि सैकड़ों दंगाइयों ने बेरहमी से पुलिस के एक दल पर हमला किया। विरोध प्रदर्शन के दौरान आरोपी कथित तौर पर तलवार लिए हुए था। हालांकि, आरोपी के वकील ने तर्क दिया था कि हालांकि रतन लाल की मौत तलवार के वार से नहीं हुई थी। जैसा कि रिपोर्ट में उनकी चोटों को लेकर बताया गया था और आरोपी ने केवल अपनी और परिवार की रक्षा के लिए तलवार उठाई थी।