दिल्ली हाई कोर्ट ने सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के बढ़ते दुरुपयोग पर चिंता व्यक्त की है और कहा है कि इससे सरकारी अधिकारियों में भय पैदा हो रहा है।
HIGHLIGHTS
न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा कि हालांकि एक्ट का उद्देश्य सूचना तक सुरक्षित पहुंच प्रदान करना और जवाबदेही सुनिश्चित करना है, लेकिन इसका दुरुपयोग इसे कमजोर कर देता है। अदालत की यह टिप्पणी शिशिर चंद की याचिका पर सुनवाई के दौरान आई, जिसमें टाटा मेमोरियल अस्पताल में डॉ. अतुल छाबड़ा की कथित लापरवाही से संबंधित केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के एक आदेश को चुनौती दी गई थी। सीआईसी ने मामले को फिर से खोलने के चंद के बार-बार के प्रयासों को आरटीआई प्रक्रिया का दुरुपयोग माना। जस्टिस प्रसाद ने कहा कि याचिकाकर्ता न्यायिक आदेशों द्वारा पहले ही तय की गई जानकारी निकालने का प्रयास कर रहा था। चंद के बार-बार दुरुपयोग को स्वीकार करने के बावजूद, अदालत ने माना कि आरटीआई एक्ट के तहत जानकारी मांगने का एक नागरिक का अधिकार समाप्त नहीं किया जा सकता, और बार-बार जानकारी मांगने पर लागत लगाने का कोई प्रावधान नहीं है। अदालत ने सीआईसी के आदेश के उस हिस्से को रद्द करते हुए रिट याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार कर लिया, जिसने चंद को उसी विषय पर आगे मामले दायर करने से प्रतिबंधित कर दिया था। अदालत ने इस मामले में कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग और अधिनियम के मकसद को कमजोर करने से बचने की सलाह दी।
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