भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) की एक टीम ओड-ईवन योजना के प्रभाव का विश्लेषण करेगी। इस योजना को दिल्ली में चार नवंबर से लागू किया जा रहा है। यह अध्ययन छात्रों द्वारा बनाए गए प्रदूषण निगरानी यंत्रों से किया जाएगा। यह अध्ययन 15 अक्टूबर से 15 नवंबर के बीच किया जाएगा।
इसकी पड़ताल की जाएगी कि यह योजना कितनी प्रभावी रही। छह सदस्यों वाली टीम ने सेंसर आधारित प्रदूषण नियंत्रण उपकरण का आविष्कार किया है। इसे ‘एजिमोटिव’ कहा गया है और यह पेंटेट भी हो चुका है तथा इसे आईसीएडी सर्टिफिकेट भी मिल चुका है। इस टीम की सदस्य पूजा सिंह ने बताया, ‘‘यह यंत्र 250 बसों की छत पर लगाया जाएगा ताकि राष्ट्रीय राजधानी की हवा पर नजर रखी जा सके।
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इस उपकरण से सूक्ष्म कणों, गर्मी, तापमान और आर्द्रता की गणना के साथ ही अलग-अलग जगहों की यातायात स्थिति और मौसम के बारे में जानकारी पाने में मदद मिलेगी। इस उद्देश्य के लिए हमने दिल्ली इंटिग्रेटेड मल्टी मोडल ट्रांजिट सिस्टम (डीआईएमटीएस) से गठजोड़ किया है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ प्रत्येक बस रोजाना 16 चक्कर लगाती है और अलग-अलग जगहों में 30-40 किलोमीटर तक जाती है। इन उपकरणों में कैमरे और जीपीएस लगे हैं ताकि वाहनों पर नजर रखी जा सके।’’ सिंह ने बताया कि अध्ययन दो चरण में किया जाएगा। पहले चरण में ओड-ईवन लगने से पहले के आंकड़े जमा किए जाएंगे और दूसरे चरण में ओड-ईवन के दौरान आंकड़े लिए जाएंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘यह योजना प्रभावी है या नहीं, इसका विश्लेषण करने के लिए हमें पूर्ववर्ती दिनों के आंकड़ों की भी जरूरत पड़ेगी, ताकि तुलना की जाए। इसलिए यह दो चरणों में होगा और हम देखेंगे कि हवा के गुणवत्ता में सुधार हुआ या नहीं और अगर हुआ तो कितने प्रतिशत हुआ।’’