नई दिल्ली : देश की लगातार बढ़ती जनसंख्या पर बोलते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे यहां बेतहाशा जनसंख्या विस्फोट हो रहा है। यह जनसंख्या विस्फोट हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए भी संकट पैदा कर रहा है। दिल्ली भी इस जनसंख्या विस्फोट से त्रस्त है। 2021 में अभी दिल्ली की जनसंख्या की गणना होनी है। लेकिन यह 100 सालों में 2 करोड़ से ऊपर जा चुकी है। प्राप्त आंकड़ों के हिसाब से 1911 में दिल्ली की जनसंख्या मात्र 4.14 लाख थी।
1941 तक यहां के लोगों ने जनसंख्या पर काफी नियंत्रण किया हुआ था। 1941 में 9.18 लाख दिल्ली की जनसंख्या दर्ज की गई। लेकिन देश के आजाद होने के बाद जैसे जनसंख्या बढ़ोतरी में बाढ़ सी आनी शुरू हो गई। 1951 में 17.44 लाख जनसंख्या दिल्ली की दर्ज की गई। वास्तव में इस दशक में दिल्ली में लोगों की बढ़ने की संख्या पाकिस्तान बंटवारे के दौरान की है। उस समय बहुत पाकिस्तान से आने वाले रिफ्यूजियों की संख्या बहुत अधिक थी, उन सभी ने दिल्ली में शरण ली। यह उस हिसाब से बहुत अधिक थी और जो जनसंख्या यहां से बढ़नी शुरू हुई।
उसने थमने का नाम ही नहीं लिया। जो 2011 में 1 करोड़ 67 लाख 88 हजार पर पहुंच गई थी। और अभी 2021 में जनसंख्या गणना होनी है। लेकिन अभी 2 करोड़ से ऊपर यहां की जनसंख्या दर्ज हो चुकी है। केवल 1950 के दशक में ही सबसे अधिक 6.42 की वार्षिक दर से दिल्ली में जनसंख्या बढ़ी। इसके अलावा प्रतिवर्ष दिल्ली में जनसंख्या 4.35 के औसत दर से जनसंख्या बढ़ी है।
जरूरी है परिवार नियोजन… लाल किले पर अपने दिए भाषण में प्रधानमंत्री ने इस समस्या की ओर संकेत किया है। दिल्ली के इन आंकड़ों को देखे तो इसके मद्देनजर परिवार नियोजन की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री ने भी जनसंख्या नियंत्रण को भी देश भक्ति से जोड़ा है। इसलिए उन्होंने सीमित परिवार को समझाने वालों को बधाई का पात्र माना है।
और यह जरूरी भी है। अब कुछ नहीं किया गया तो आगे कुछ नहीं किया जा सकेगा। इसलिए उन्होंने भी युवाओं से मांग की है कि आबादी नियंत्रण के लिए छोटे परिवार पर जोर दें। ताकि देश को समृद्ध बनाया जा सके।