देश की राजधानी दिल्ली हर साल सर्दियों में प्रदूषण के मायाजाल में फंसती है और करोंड़ों लोगों पर इसका असर होता है। केंद्र की मोदी सरकार और दिल्ली की सत्ता में काबिज केजरीवाल एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का खेल चलाते है। लेकिन इस बार हालात कुछ अलग है और देश की शीर्ष अदालत ने इस गंभीर मसले पर हस्तक्षेप किया तो सोई हुई सरकारों की नींद खुल गई। इसके बाद सरकार ने कई नियम-कायदे बनाकर आनन-फानन में कुछ प्रतिबंध लगाए।
29 नवंबर से एक बार फिर बहाल होंगे दिल्ली के स्कूल
प्रदूषण पर बैठक के बाद बड़ा फैसला:दिल्ली के प्रदूषण स्तर में सुधार को देखते हुए, शैक्षणिक संस्थान 29 नवंबर ’21 से फिर से खुलेंगे’29 नवंबर से फिर से खुलेंगे सरकारी कार्यालय, अधिकारियों ने यथासंभव सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करने की सलाह दी।-पर्यावरण मंत्री @AapKaGopalRai pic.twitter.com/R5Cx0ftskF— Aam Aadmi Party Delhi (@AAPDelhi) November 24, 2021
दिल्ली में 29 नवंबर से स्कूल खुलेंगे. दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने ये एलान किया है। गोपाल राय ने ये भी बताया कि 29 नवंबर से ही सरकारी दफ्तर खोल दिए जाएंगे। दफ्तरों को एडवाइजरी जारी की गई है कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करें।
गोपाल राय ने कहा- हालात सुधरे, अब पहले की तरह ही
पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा, दिल्ली के अंदर पिछले तीन दिनों से लगातार प्रदूषण के स्तर में सुधार हो रहा है। एयर क्वालिटी इंडेक्स देखे दीवाली से पहले जो स्तिथि उस वक़्त उस स्तिथि आज पहुंच चुके है। प्रदूषण को देखते हुए दिल्ली में रूटीन करवाई और कई प्रतिबंद लगाए गए थे। आज एक बैठक की उसमे निर्णय लिया है।
29 नवंबर से सरकारी दफ्तर खोल दिए जाएंगे, लेकिन उन्हें
उन्होंने कहा, ‘दिल्ली के अंदर जो बाहर की गाड़ियां बैन थी 27 तारीख से सीएनजी और इलेक्ट्रिक गाड़ियों को प्रवेश दिया जाएगा। बाकी गाड़ियों पर 3 दिसंबर तक बैन रहेगा। 29 तारीख से दिल्ली में स्कूल कॉलेज खोले जाएंगे। 29 नवंबर से सरकारी दफ्तर खोल दिए जाएंगे, उनको एडवाइजरी है कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करें।
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अभी कंस्ट्रक्शन पर प्रतिबंद हटाए थे और निर्देश दिए थे कि नियमो का उल्लंघन ना करें। इसके लिए मॉनिटरिंग टीम बनाई गई और कल 12021 निरीक्षण किया और 105 साइट पर नियमों पर उलंघन करने पर काम बंद कर दिया है।
दिल्ली के प्रदूषण स्तर पर शीर्ष अदालत ने कहा-
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि दिल्ली के प्रदूषण स्तर में गिरावट जरूर आई है, लेकिन इसका श्रेय सरकार के प्रयासों को कम, मौसम में बदलाव को ज्यादा जाता है। कोर्ट ने कहा कि अलग-अलग मौसम में प्रदूषण के स्तर पर वैज्ञानिक अध्ययन किया जाना चाहिए। उसी के आधार पर योजना बनाई जानी चाहिए। कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकार प्रदूषण का स्तर बढ़ने के बाद नियंत्रण के उपाय अपनाना शुरू करती है। उसे इस तरह की व्यवस्था बनानी चाहिए, जिसमें मौसम विभाग से हवा के बहाव में बदलाव का अनुमान मिलते ही कदम उठाने शुरू कर दिए जाएं।