उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा को लेकर दिल्ली पुलिस ने आरटीआई के तहत दायर किए गए अलग-अलग आवेदनों पर अपना जवाब दाखिल किया है। इसी साल फरवरी में सांप्रदायिक हिंसा के दौरान 13 धार्मिक स्थलों को नुकसान पहुंचाया गया था। पुलिस ने इन मामलों में 13 FIR दर्ज की हैं और 33 लोगों को गिरफ्तार किया है। हिंसा के दौरान दोनों पक्षों के धार्मिक स्थलों को कम या अधिक नुकसान पहुंचा।
आरटीआई आवेदनों में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में नागरिकता संशोधित कानून (सीएए) के खिलाफ तथा इसके समर्थन में हुए प्रदर्शन के संबंध में दर्ज FIR की कॉपियां, गिरफ्तार लोगों के नाम भी मांगे गए थे। हालांकि पुलिस ने किसी भी आरोपी का नाम, FIR की कॉपियां और इन धार्मिक स्थलों का पता देने से इनकार किया।
इसने बताया कि सीएए के समर्थन और विरोध में हुए प्रदर्शनों तथा दंगों के सिलसिले में उत्तर पूर्वी दिल्ली के अलग-अलग थानों में 193 FIR दर्ज की गई हैं। इस बाबत 373 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। उत्तर-पूर्वी दिल्ली के अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त एवं जन सूचना अधिकारी एम.ए रिज़वी के हस्ताक्षर से जारी जवाब में बताया गया है कि सांप्रदायिक हिंसा के दौरान एक समुदाय विशेष के 11 धार्मिक स्थलों को क्षतिग्रस्त किया गया।
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पुलिस ने इन घटनाओं के संबंध में 11 FIR दर्ज की हैं और 31 लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें से सात को जमानत मिल गई है। वहीं, चार मामलों में आरोपपत्र दाखिल कर दिए गए हैं। दूसरे आरटीआई आवेदन के जवाब में पुलिस ने बताया कि अन्य समुदाय विशेष के दो धर्मस्थलों को क्षतिग्रस्त किया गया। इस बाबत दो FIR दर्ज की गई हैं और दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
इस संबंध में गिरफ्तार किसी भी आरोपी को ज़मानत नहीं मिली है जबकि एक मामले में आरोपपत्र दायर कर दिया गया है।
अन्य आरटीआई आवेदन के जवाब में पुलिस ने बताया कि जाफराबाद, कर्दमपुरी और चांद बाग में सीएए के खिलाफ हुए प्रदर्शनों और दंगों के सिलसिले में ज्योतिनगर, दयालपुर और जाफराबाद थानों में कुल 190 FIR दर्ज की गई हैं और 357 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
पुलिस के पास इस बात की जानकारी नहीं है कि कितने गिरफ्तार लोगों को जमानत पर छोड़ा गया है, लेकिन पुलिस का कहना है कि 25 मामलों में आरोपपत्र दायर कर दिए गए हैं। आरटीआई आवेदन के जवाब में पुलिस ने बताया कि 23 फरवरी को मौजपुर चौक पर सीएए के समर्थन में हुए प्रदर्शन के सिलसिले में वेलकम थाने में तीन FIR दर्ज की गई हैं और 16 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनमें से सात को जमानत मिल गई है। पुलिस ने बताया कि उसने एक मामले में आरोपपत्र दायर कर दिया है।
गौरतलब है कि बीजेपी नेता कपिल मिश्रा पर 23 फरवरी को इसी प्रदर्शन में भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगा था जिसका कथित वीडियो वायरल हुआ था। पुलिस ने आरोपियों के नाम और FIR की कॉपियां न देने का कारण मामले का ”सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील” होना बताया है और इसके लिए आरटीआई अधिनियम 2005 की धारा आठ (1) (ए,जी,जे और एच) का हवाला दिया है।
अधिनियम की इस धारा के इन प्रावधानों के तहत राष्ट्र की सुरक्षा, संप्रभुता, अंखडता, जांच या अभियोजन को प्रभावित करना, व्यक्ति की जान को खतरा होना और व्यक्तिगत जानकारी होने की सूरत में सूचना देने से इनकार किया जा सकता है। उत्तर-पूर्वी दिल्ली में फरवरी के आखिर में सीएए को लेकर सांप्रदायिक दंगे भड़क गए थे, जिनमें 53 लोगों की मौत हो गई थी और 500 से ज्यादा लोग जख्मी हुए थे।
संसद में दंगों पर चर्चा के दौरान मार्च में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बताया था कि हिंसा के दौरान 371 दुकानों और 142 घरों को आग लगाई गई थी। शाह ने यह भी बताया था कि पुलिस ने दंगों के संबंध में 700 से अधिक प्राथमिकी दर्ज की हैं।