Delhi Pollution: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 300 के पार यानी बेहद खराब श्रेणी में पहुंच गया। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अलर्ट के बाद वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने आपात बैठक कर एनसीआर में ग्रेप (ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान) के दूसरे चरण को लागू कर दिया है।
यमुना नदी में जहरीला झाग
सर्दी के आगमन के साथ ही मौसम के साथ ही दिल्ली में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। कालिंदी कुंज में यमुना नदी में जहरीला झाग तैरता हुआ दिखाई दे रहा है। यहां इंडिया गेट और आसपास के इलाकों में AQI गिरकर ‘बहुत खराब’ श्रेणी में 328 पर पहुंच गया है तो वहीं आनंद विहार, कालकाजी, नेहरू प्लेस और अक्षरधाम मंदिर जैसे इलाकों में कोहरे की मोटी परत देखी गई। दिल्ली के विभिन्न इलाकों में धुंध बढ़ने से वायु गुणवत्ता में भी गिरावट आ रही है। इस बारे में लोगों का कहना है कि पूरी दिल्ली ही दम तोड़ रहीं हैं, कोई देखने-सुनने वाला नहीं, न पानी साफ़, न हवा साफ़ और न ही साफ़ रास्ते हैं।
प्रदूषण को लेकर गोपाल राय का बड़ा बयान
पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने आगे बताया कि दिल्ली के अंदर गाड़ियों से जो प्रदूषण होता है, उसको कम करने के लिए पहले से ही यहां पर सीएनजी की बसें चल रही थी। 2,000 से अधिक इलेक्ट्रिक बस हम दिल्ली की सड़कों पर चला रहे हैं। प्राइवेट गाड़ियों को भी यहां पर लाने की योजना है। लेकिन इसके बावजूद आज भी हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान से डीजल बसे दिल्ली में आ रही हैं। इसको लेकर हम वहां के परिवहन मंत्री को चिट्ठी लिख रहे हैं कि जब तक दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बढ़ा हुआ है, तब तक यहां पर डीजल बसें नहीं भेजे। वो सीएनजी और इलेक्ट्रिक बसे दिल्ली में भेजें, जिससे प्रदूषण को कम करने में सहयोग मिलेगा।
ग्रेप-2 के तहत दिए गए ये निर्देश
- आवासीय, व्यावसायिक और औद्योगिक इकाइयों में डीजल जनरेटर पर रोक
- पार्किंग शुल्क, सीएनजी-इलेक्ट्रिक बसों और मेट्रो के फेरे बढ़ाने के निर्देश
- इमरजेंसी सेवाओं के लिए डीजल जनरेटर के इस्तेमाल में छूट दी गई
- ग्रेप-2 के तहत सीएक्यूएम ने पार्किंग शुल्क बढ़ाने के निर्देश दिए हैं, ताकि सड़कों पर निजी वाहनों का दबाव कम हो।
- इसके अलावा एनसीआर में सीएनजी और इलेक्ट्रिक बसों के साथ ही मेट्रो के फेरे बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं।
- सीएक्यूएम ने लोगों से निजी वाहन छोड़कर सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करने की अपील की है।
- जनवरी तक धूल उत्पन्न करने वाले निर्माण कार्य न करें।
- खुले में लकड़ी या कूड़ा न जलाएं।
2.881 फीसदी रही पराली की हिस्सेदारी
आईआईटीएम के मुताबिक सोमवार को उत्तर भारत में पराली जलाने की 500 से अधिक घटनाएं दर्ज की गईं। ऐसे में दिल्ली के वायु प्रदूषण में पराली के धुएं की हिस्सेदारी 2.881 फीसदी रही। वहीं, मंगलवार को हवा में पराली के धुएं की हिस्सेदारी 6.86 फीसदी रह सकती है। डिसिजन सपोर्ट सिस्टम (डीएसएस) के आंकड़ों के अनुसार वायु प्रदूषण में खुले में कूड़ा जलने से होने वाले धुआं 0.989 फीसदी रहा। जबकि यातायात से होने वाले प्रदूषण की हिस्सेदारी 9.953 फीसदी ही।
वायु गुणवत्ता के चार चरण
दिल्ली और उसके आसपास की हवा की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए ग्रेप के चार चरण बनाए गए हैं। इसमें ग्रेप-1 तब लगाया जाता है जब हवा की गुणवत्ता (एक्यूआई) 201 से 300 यानी खराब स्थिति में पहुंच जाती है। ग्रेप-2 को लागू तब किया जाता है जब एक्यूआई 301 से 400 तक पहुंच जाता है। हवा की गुणवत्ता गंभीर रूप से खराब होने (एक्यूआई 401 से 450) पर ग्रेप-3 और एक्यूआई 450 से ज्यादा होने पर ग्रेप-4 लागू किया जाता है। इस दौरान ऐसी चीजों के इस्तेमाल पर पाबंदी लगाई जाती है जिससे हवा में प्रदूषण न फैले। अब देखना यह है किये जा रहे प्रयास कितने कारगर होंगे ? क्या इनसे दिल्ली का वायु प्रदुषण कम होगा और लोगों को दमघोटू हवा से निजात मिलेगी।