कुतुब मीनार परिसर में खुदाई की खबरों के बीच केंद्रीय संस्कृति मंत्री जीके रेड्डी का बयान सुर्खियों में बना हुआ है, दरअसल उन्होंने मीडिया में दिखाई जा रही सभी रिपोर्ट्स का खंडन किया है। उन्होंने कहा कि कुतुब मीनार परिसर में किसी तरह की खुदाई का कोई निर्देश नहीं दिया गया है। बता दें कि सुबह तक यह रिपोर्ट्स आई थी कि ऐतिहासिक स्मारक कुतुब मीनार में खुदाई कराई जाएगी, संस्कृति मंत्रालय ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को कुतुब मीनार में मूर्तियों की खुदाई और आइकोनोग्राफी का निर्देश दिया था। इस पर संस्कृति मंत्री जीके रेड्डी ने स्पष्ट किया कि ऐसा कोई निर्देश जारी नहीं किया गया है।
पूर्व ASI निर्देश ने कुतुब मीनार को बताया था सन टावर
बता दें कि हालही में एएसआई के पूर्व क्षेत्रीय निदेशक धर्मवीर शर्मा ने बड़ा दावा करते हुए कहा था कि कुतुब मीनार का निर्माण कुतुब अल-दीन ऐबक नहीं बल्कि राजा विक्रमादित्य द्वारा करवाया गया था, क़ुतुब मीनार असल में एक सन टावर है जिसे सूर्य की दिशा का अध्ययन करने के लिए बनाया गया था। वहीं संस्कृति मंत्रालय के सचिव गोविंद मोहन ने शनिवार 21 मई को अधिकारियों के साथ एक साइट का दौरा किया था, गोविंद मोहन ने 3 इतिहासकारों, 4 एएसआई अधिकारियों और शोधकर्ताओं के साथ साइट यह दौरा किया था। एएसआई के अधिकारियों ने सचिव को बताया कि कुतुब मीनार परिसर में 1991 के बाद से खुदाई का कोई काम नहीं हुआ है।
27 हिंदू-जैन मंदिरों को ध्वस्त करने के बाद हुआ कुतुब मीनार का निर्माण
इससे पहले विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के प्रवक्ता विनोद बंसल ने दावा किया था कि कुतुब मीनार वास्तव में 'विष्णु स्तम्भ' था और संरचना का निर्माण 27 हिंदू-जैन मंदिरों को ध्वस्त करने के बाद मिले मलबे से किया गया था। कई हिंदू समूहों ने इसके विरोध प्रदर्शन किया और मीनार के परिसर में हनुमान चालीसा का जाप किया। उन्होंने कुतुब मीनार का नाम बदलकर विष्णु स्तम्भ करने की मांग की, क्योंकि 1200 साल पुरानी भगवान नरसिंह की मूर्ति, भगवान गणेश और भगवान कृष्ण की मूर्तियां कुतुब मीनार के अंदर पाई गईं। कुतुब मीनार के अलावा महरौली के लालकोट किले और अनंगताल में भी खुदाई होगी।