कुतुब मीनार मस्जिद को लेकर आज दिल्ली की साकेत अदालत में सुनवाई हुई, इस दौरान न्यायधीश ने सुनवाई की कार्रवाई रिकॉर्ड कर रहे पुलिसकर्मी को फटकार लगाते हुए सवाल किया कि आपको कोर्टरूम में कुछ भी रिकॉर्ड करने की इजाजत किसने दी है? किसी अफसर ने आपसे ऐसा करने के लिए कहा है? पुलिसकर्मी ने कहा कि वह बस ऑडियो रिकॉर्ड कर रहे थे, वीडियो नहीं बना रहे थे। इसके बाद उस पुलिसकर्मी की आईडी चेक की गई और जज के निर्देश अनुसार उनका फोन जब्त कर लिया गया।
9 जून को होगी अगली सुनवाई
बता दें कि कुतुब मीनार को लेकर चल रही सुनवाई पूरी हो चुकी है, अब इस मामले में फैसला 9 जून को सुनाया जाएगा। इस फैसले में यह पता चलेगा कि कुतुब मीनार के मस्जिद परिसर में मौजूद हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियों की पूजा की जाएगी या नहीं? दोनों पक्ष की दलीलें सुनने के बाद साकेत कोर्ट में एडीजे निखिल चोपड़ा ने कहा कि सभी संबंधित पक्ष 9 जून तक अपनी लिखित दलीलें दाखिल करें।
ASI ने कोर्ट में दर्ज हुई याचिका का किया विरोध
बता दें कि कोर्ट में दर्ज हुई याचिका का विरोध करते हुए, एएसआई ने कुतुब मीनार परिसर में मंदिरों के जीर्णोद्धार से संबंधित एक अंतरिम आवेदन में साकेत कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया। एएसआई ने आगे कहा कि “एएमएएसआर अधिनियम 1958 के तहत कोई प्रावधान नहीं है जिसके तहत किसी भी जीवित स्मारक पर पूजा शुरू की जा सकती है। माननीय दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने आदेश में इसका स्पष्ट रूप से उल्लेख किया है।”
जानें याचिका में क्या है मांग?
बता दें कि अधिवक्ता हरि शंकर जैन और रंजना अग्निहोत्री द्वारा जैन देवता तीर्थंकर ऋषभ देव और हिंदू भगवान विष्णु की ओर से दिल्ली की एक जिला अदालत में याचिका दायर की गई थी। याचिका में कथित तौर पर एएसआई द्वारा प्रदर्शित एक संक्षिप्त इतिहास का हवाला दिया गया है, जो यह बताता है कि कैसे मोहम्मद गोरी की सेना में एक जनरल कुतुबदीन ऐबक द्वारा 27 मंदिरों को ध्वस्त कर दिया गया था, और कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद को मंदिर के ही मलबे से बनाया गया था।
भगवानों की प्रतिमाओं को फिर होना चाहिए बहाल
याचिका में यह घोषित करने की मांग की गई है कि भगवान विष्णु, भगवान शिव, भगवान गणेश, भगवान सूर्य, देवी गौरी, भगवान हनुमान, जैन देवता तीर्थंकर भगवान ऋषभ देव को मंदिर परिसर के भीतर “बहाल” करने का अधिकार है। इसलिए मस्जिद को फिर से मंदिर में तब्दील करके प्रतिमाओं को “उसी सम्मान के साथ स्थापित किया जाना चाहिए।”
खंडित होने के बाद भी मूर्ति का देवत्व नहीं होता कम
जज ने हिंदू पक्ष से पूछा की आप किस कानून के तहत परिसर में पूजा करने की अनुमति मांग रहे हैं? इस पर याचिकाकर्ता की तरफ से पेश हुए वकील हरिशंकर जैन ने कहा कि पूजा का संवैधानिक अधिकार नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा, अगर एक मूर्ति तोड़ दी जाती है तो भी यह अपना देवत्व नहीं खोती है। परिसर में मूर्तियां हैं। कोर्ट ने पहले भी मूर्तियों की हिफाजत को लेकर आदेश दिया था। अगर वहां मूर्तियां हैं तो पूजा का अधिकार भी होना चाहिए।
9 जून को होगी अगली सुनवाई
बता दें कि कुतुब मीनार को लेकर चल रही सुनवाई पूरी हो चुकी है, अब इस मामले में फैसला 9 जून को सुनाया जाएगा। इस फैसले में यह पता चलेगा कि कुतुब मीनार के मस्जिद परिसर में मौजूद हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियों की पूजा की जाएगी या नहीं? दोनों पक्ष की दलीलें सुनने के बाद साकेत कोर्ट में एडीजे निखिल चोपड़ा ने कहा कि सभी संबंधित पक्ष 9 जून तक अपनी लिखित दलीलें दाखिल करें।
ASI ने कोर्ट में दर्ज हुई याचिका का किया विरोध
बता दें कि कोर्ट में दर्ज हुई याचिका का विरोध करते हुए, एएसआई ने कुतुब मीनार परिसर में मंदिरों के जीर्णोद्धार से संबंधित एक अंतरिम आवेदन में साकेत कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया। एएसआई ने आगे कहा कि “एएमएएसआर अधिनियम 1958 के तहत कोई प्रावधान नहीं है जिसके तहत किसी भी जीवित स्मारक पर पूजा शुरू की जा सकती है। माननीय दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने आदेश में इसका स्पष्ट रूप से उल्लेख किया है।”
जानें याचिका में क्या है मांग?
बता दें कि अधिवक्ता हरि शंकर जैन और रंजना अग्निहोत्री द्वारा जैन देवता तीर्थंकर ऋषभ देव और हिंदू भगवान विष्णु की ओर से दिल्ली की एक जिला अदालत में याचिका दायर की गई थी। याचिका में कथित तौर पर एएसआई द्वारा प्रदर्शित एक संक्षिप्त इतिहास का हवाला दिया गया है, जो यह बताता है कि कैसे मोहम्मद गोरी की सेना में एक जनरल कुतुबदीन ऐबक द्वारा 27 मंदिरों को ध्वस्त कर दिया गया था, और कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद को मंदिर के ही मलबे से बनाया गया था।
भगवानों की प्रतिमाओं को फिर होना चाहिए बहाल
याचिका में यह घोषित करने की मांग की गई है कि भगवान विष्णु, भगवान शिव, भगवान गणेश, भगवान सूर्य, देवी गौरी, भगवान हनुमान, जैन देवता तीर्थंकर भगवान ऋषभ देव को मंदिर परिसर के भीतर “बहाल” करने का अधिकार है। इसलिए मस्जिद को फिर से मंदिर में तब्दील करके प्रतिमाओं को “उसी सम्मान के साथ स्थापित किया जाना चाहिए।”
खंडित होने के बाद भी मूर्ति का देवत्व नहीं होता कम
जज ने हिंदू पक्ष से पूछा की आप किस कानून के तहत परिसर में पूजा करने की अनुमति मांग रहे हैं? इस पर याचिकाकर्ता की तरफ से पेश हुए वकील हरिशंकर जैन ने कहा कि पूजा का संवैधानिक अधिकार नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा, अगर एक मूर्ति तोड़ दी जाती है तो भी यह अपना देवत्व नहीं खोती है। परिसर में मूर्तियां हैं। कोर्ट ने पहले भी मूर्तियों की हिफाजत को लेकर आदेश दिया था। अगर वहां मूर्तियां हैं तो पूजा का अधिकार भी होना चाहिए।