पिछले वर्ष हुए उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगे और गणतंत्र दिवस पर हुई लालकिले की घटना में दिल्ली पुलिस की ओर से अपनी पंसद के वकीलों को चुनने तथा इस मामले में उपराज्यपाल अनिल बैजल की मंजूरी दिए जाने को दिल्ली सरकार की चुनौती का कड़ा विरोध करते हुए उपराज्यपाल की तरफ से कहा गया है कि ऐसा मामले की निष्पक्ष, त्वरित और जल्द सुनवाई के लिए किया गया था। दिल्ली उच्च न्यायालय में इस मामले की सुनवाई के दौरान विशेष सरकारी अभियोजक (एसपीपी) की नियुक्ति का बचाव करते हुए बैजल की ओर से एक हलफनामे में कहा गया कि वे सिफारिशें उन मामलों के कुशल, त्वरित और न्यायपूर्ण अभियोजन के लिए थी जो अत्यधिक संवेदनशील हैं।
एसपीपी को दिल्ली पुलिस द्वारा चुना गया है : दिल्ली सरकार
हलफनामे में कहा गया है कि, इसका अभियोजकों की क्षमता या स्वतंत्रता पर कोई प्रभाव नहीं है क्योंकि एक अधिवक्ता अदालत का अधिकारी है और अदालत की कुशलतापूर्वक सहायता करने के कर्तव्य को पूरा करता है। दिल्ली सरकार की याचिका के अनुसार, एसपीपी को दिल्ली पुलिस द्वारा चुना गया है और इससे हितों का गंभीर टकराव होता है। सरकार ने अदालत से कहा है कि, वह इस मामले में निर्देश दे ताकि इस मामले में जांच नियमित लोक अभियोजकों की ओर से जारी रखी जा सके और निष्पक्ष सुनवाई प्रभावित नहीं हो।
बैजल के पास नियुक्तियों को मंजूरी देने का कोई कारण नहीं था
याचिका के अनुसार, न तो दिल्ली पुलिस और न ही बैजल को किसानों के आंदोलन और उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगों से संबंधित मामलों में लोक अभियोजकों के काम के खिलाफ शिकायत है। लोक अभियोजकों की कम संख्या के कारण मामलों में देरी होने की भी कोई शिकायत नहीं है। इस प्रकार दिल्ली पुलिस के पास एसपीपी या
बैजल को उन नियुक्तियों को मंजूरी देने का कोई कारण नहीं था।