उत्तर पूर्वी दिल्ली में बीते साल हुए सांप्रदायिक दंगों के दौरान एक पुलिस कांस्टेबल पर बंदूक तानने वाले शाहरूख पठान को शरण देने का जुर्म कबूल करने वाले दोषी पर कोर्ट ने उदारता दिखाई है। कोर्ट ने दोषी को उतनी सज़ा सुनाई है जो वह पहले ही जेल में काट चुका है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने कहा कि दोषी कलीम अहमद ने पछतावा व्यक्त किया, और क्षमायाचना की और स्वीकार किया कि उसे पठान ने गुमराह किया था। रावत ने कहा कि इस मामले में अधिकतम तीन साल की सजा दी जा सकती है, जबकि दोषी 17 मार्च 2020 से सात सितंबर 2021 तक जेल में रह चुका है।
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न्यायाधीश ने आदेश में कहा कि दोषी की पारिवारिक स्थिति, उसकी व्यक्तिगत स्थिति, इकाबल-ए-जुर्म के तथ्यों पर विचार करने के साथ-साथ इस बात पर भी गौर किया गया कि उसे सुधार का एक मौका देना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोर्ट दोषी को उतनी अवधि की सज़ा सुनाती है जितनी वह पहले ही जेल में काट चुका है और दो हजार रुपये का जुर्माना लगाती है।
अहमद को भारतीय दंड संहिता की धारा 216 (हिरासत से फरार आरोपी को पनाह देना) के तहत सात दिसंबर को दोषी ठहराया गया था। उसने जुर्म कबूल किया था। फरवरी 2020 में दंगों के दौरान पठान ने कथित रूप से ‘जान से मारने की’ नीयत से हेड कांस्टेबल दीपक दहिया पर तमंचा तान दिया था। घटना के वीडियो और फोटो वायरल हो गए थे।