देश की राजधानी दिल्ली के जल मंत्री सत्येंद्र जैन ने मंगलवार को कहा कि दिल्ली में यमुना नदी को दिसंबर 2023 तक पूरी तरह साफ कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि, अगले साल के अंत तक यमुना नदी नहाने के लिहाज से पूरी तरह उपयुक्त होगी और इसमें मछलियां फिर से दिखने लगेंगी। जैन ने कहा कि सभी इलाकों को अगले 15 महीने के अंदर सीवर प्रणाली से जोड़ दिया जाएगा और सभी तरह के दूषित पानी को अगले छह महीने में एकत्र किया जाएगा।
भूजल स्तर उतना ही अच्छा होगा, जितना यह 50 साल पहले हुआ करता था : सत्येंद्र जैन
जैन ने कहा, हम यमुना को 2025 से पहले दिसंबर 2023 तक साफ कर देंगे। सभी नाले पूरी तरह साफ किए जाएंगे। मैं पूरी तरह आश्वस्त हूं। मैं आप को दिल्ली में कहीं भी यमुना नदी में डुबकी लगाने के लिए आमंत्रित करूंगा। मंत्री ने कहा कि अगले दिल्ली का भूजल स्तर उतना ही अच्छा होगा, जितना यह 50 साल पहले हुआ करता था। उन्होंने कहा कि दिल्ली-हरियाणा सीमा के पास पल्ला में 25 एकड़ भूमि पर एक प्रयोग किया गया था, जो सफल रहा और अब इसे दोहराया जा रहा है।
वर्ष 2019 में शुरू हुई थी पल्ला परियोजना की शुरुआत
पल्ला परियोजना दिल्ली सरकार के प्रयास का हिस्सा है ताकि राजधानी में जल आपूर्ति को बढ़ावा दिया जा सके। इसकी शुरुआत वर्ष 2019 में हुई थी जिसके तहत बरसात के मौसम में बाढ़ वाले इलाकों में यमुना के अतिरिक्त पानी को एक छिछले बैराज में एकत्र करना शामिल है। इसके तहत 33 दाब मापी उपकरण (पीजोमीटर) लगाए गए हैं ताकि भूजल स्तर में बढ़ोतरी का पता लगाया जा सके।
भूजल स्तर उतना ही अच्छा होगा, जितना यह 50 साल पहले हुआ करता था : सत्येंद्र जैन
जैन ने कहा, हम यमुना को 2025 से पहले दिसंबर 2023 तक साफ कर देंगे। सभी नाले पूरी तरह साफ किए जाएंगे। मैं पूरी तरह आश्वस्त हूं। मैं आप को दिल्ली में कहीं भी यमुना नदी में डुबकी लगाने के लिए आमंत्रित करूंगा। मंत्री ने कहा कि अगले दिल्ली का भूजल स्तर उतना ही अच्छा होगा, जितना यह 50 साल पहले हुआ करता था। उन्होंने कहा कि दिल्ली-हरियाणा सीमा के पास पल्ला में 25 एकड़ भूमि पर एक प्रयोग किया गया था, जो सफल रहा और अब इसे दोहराया जा रहा है।
वर्ष 2019 में शुरू हुई थी पल्ला परियोजना की शुरुआत
पल्ला परियोजना दिल्ली सरकार के प्रयास का हिस्सा है ताकि राजधानी में जल आपूर्ति को बढ़ावा दिया जा सके। इसकी शुरुआत वर्ष 2019 में हुई थी जिसके तहत बरसात के मौसम में बाढ़ वाले इलाकों में यमुना के अतिरिक्त पानी को एक छिछले बैराज में एकत्र करना शामिल है। इसके तहत 33 दाब मापी उपकरण (पीजोमीटर) लगाए गए हैं ताकि भूजल स्तर में बढ़ोतरी का पता लगाया जा सके।