उत्तर पूर्वी दिल्ली में नागरिकता कानून के खिलफर हुई हिंसा अब पूरी तरह थम चुकी है। प्रभावित क्षेत्रों में अब अधिकांश दुकानें खुलने लगी हैं। हिंसा झेल चुके इन इलाकों में दुकानों को पुलिस और सशस्त्र अर्धसैनिक बलों की मौजूदगी में खुलवाया जा रहा है। इसकी पहल स्वयं इलाके में तैनात वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों ने की है। इलाके में सुरक्षा बलों की तैनाती से अब यहां व्यापारियों में अपने प्रतिष्ठान खोलने का साहस लौटा है।
मंगलवार सुबह मौजपुर के घोंडा चौक पर बंद पड़ी दुकानों को खुलवाया गया। इस बारे में एक दुकानदार ने कहा, “पुलिस आश्वासन और सुरक्षा के भरोसे के बाद हमने दुकान खोलने का फैसला किया है। इलाके में फिलहाल शांति है, लेकिन हिंसा की आशंका अभी भी मन में बनी रहती है।”
वहीं एक अन्य ने कहा कि “इस पूरी हिंसा के दौरान हमारे कई जानने वालों व रिश्तेदारों के घर और दुकानों को नुकसान पहुंचा, लेकिन मेरी दुकान पर कोई हमला नहीं किया गया। इसके बावजूद अभी तक हम दुकान खोलने का साहस नहीं जुटा पा रहे। अब पुलिस ने हमारे जान माल की सुरक्षा की पूरी गारंटी ली है। पुलिस से मिली इस गारंटी के बाद सुबह 10 बजे से शाम पांच बजे तक हमने दुकान खोलने का फैसला किया है।”
यहां कई दुकानें ऐसी भी हैं, जिन्हें हिंसा के दौरान लूट लिया गया या फिर नुकसान पहुंचाया गया है। इनमें से कई दुकानों के मालिक अभी भी अपनी दुकानें खोलने को तैयार नहीं हैं। गोकुलपुरी के एक निवासी ने इस बारे में कहा, “बीते आठ दिन हमारी रंग रोगन की दुकान बंद रही। फिलहाल हम डरे हुए हैं, सोमवार को पुलिस की मौजूदगी के चलते हमने दुकान खोलने का साहस किया। हालांकि शाम होने से पहले हमने दुकान बंद कर दी। अभी रात के समय दुकान खोलने के बारे में सोच भी नहीं सकते।”
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बता दें कि 24 फरवरी से 26 फरवरी के बीच हुई उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा में 46 लोगों की मृत्यु हो चुकी है। वहीं, 250 से अधिक लोग इस हिंसा में घायल हुए हैं। हिंसा के उपरांत अब उत्तर पूर्वी दिल्ली के सभी हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में पुलिस और अर्धसैनिक बलों की तैनाती की गई है। साथ ही पुलिस हिंसा फैलाने के आरोपियों और अब हिंसा को लेकर किसी भी प्रकार की अफवाह फैलाने वालों को गिरफ्तार कर रही है।