केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने गुरुवार को कहा कि सरकार राष्ट्रीय राजधानी को अगले तीन साल में वायु, जल और ध्वनि प्रदूषण से मुक्त करेगी। उन्होंने कहा कि प्रदूषण देश के लिए सबसे बड़ी चिंता की बात है। उद्योग मंडल पीएचडी चैंबर ऑफ कामर्स के वार्षिक सत्र को संबोधित करते हुए, सड़क परिवहन मंत्री ने कहा कि उनके मंत्रालय ने सड़क बुनियादी ढांचा विकास पर 60,000 करोड़ रूपए खर्च किए हैं। इस प्रयास से दिल्ली में वायु प्रदूषण को कम करने में भी मदद की।
उन्होंने कहा कि वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण देश के लिए चिंतित करने वाले मुद्दे हैं। हम दिल्ली को अगले तीन वर्षों में वायु, जल और ध्वनि प्रदूषण से मुक्त कर देंगे। गडकरी ने कहा कि सड़क मंत्रालय सभी कंटेनर डिपो और 1,700 गोदामों को दिल्ली से बाहर स्थानांतरित करने के प्रस्ताव पर काम कर रहा है।
उन्होंने कहा कि अगले 15 दिनों में हम दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के साथ उस प्रस्ताव पर चर्चा करेंगे। गडकरी ने यह भी कहा कि सड़क मंत्रालय एक लाख करोड़ रूपए का लॉजिस्टिक पार्क भी बना रहा है। मंत्री ने कहा कि उन्होंने दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन के लिए केवल इलेक्ट्रिक बसें चलाने को लेकर केजरीवाल को अपना सुझाव दिया है।
वाहन विनिर्माताओं के लिए लचीला -ईंधन इंजन बनाना अनिवार्य करेगी सरकार: गडकरी
गडकरी ने कहा कि सरकार सुप्रीम कोर्ट से मंजूरी मिलने के बाद सभी वाहन निर्माताओं के लिए लोचदार- ईंधन के अनुकूल इंजन बनाना अनिवार्य कर देगी।फ्लेक्स-फ्यूल, या लचीला ईंधन, पेट्रोल और मेथनॉल या एथनॉल को मिलाकर बनने वाला एक वैकल्पिक ईंधन है। गडकरी ने कहा कि सरकार एक एथनॉल अर्थव्यवस्था विकसित करने पर काम कर रही है। उन्होंने कहा कि हम सभी वाहन निर्माताओं के लिए फ्लेक्स-फ्यूल इंजन (जो एक से अधिक ईंधन पर चल सकते हैं) बनाना अनिवार्य करने जा रहे हैं।
मंत्री ने ब्राजील, कनाडा और अमेरिका के उदाहरण दिए जहां अधिकांश ऑटोमोबाइल कंपनियां लचीला- ईंधन इंजन वाले वाहनों का निर्माण करती हैं। गडकरी ने कहा कि हमने सुप्रीम कोर्ट में एक शपथपत्र दिया है। जब हमें सुप्रीम कोर्ट से मंजूरी मिल जाएगी, तब हम सभी वाहन निर्माताओं के लिए ऐसे लचीले- ईंधन इंजन बनाना अनिवार्य कर देंगे।
गडकरी ने सुझाव दिया कि सेना को डीजल इंजन वाले वाहनों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाना चाहिए और एलएनजी, सीएनजी और एथनॉल पर चलने वाले ट्रकों का उपयोग करना चाहिए। मंत्री ने कहा कि एथेनॉल, पेट्रोल और डीजल की तुलना में काफी सस्ता है। उन्होंने कहा कि सरकार एक एथनॉल अर्थव्यवस्था को विकसित करने की दिशा में काम कर रही है और 450 कारखानों ने इसके निर्माण में रुचि दिखाई है।