राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने राष्ट्रीय राजमार्ग के पास व्यापक स्तर पर अतिक्रमण को लेकर चिंता प्रकट की है और सरकार से इस संबंध में प्रभावी निगरानी तंत्र विकसित करने का निर्देश दिया है। हरित अधिकरण ने कहा कि निगरानी तंत्र को, बनाए जाने वाले राजमार्ग, निर्माण किए जा चुके राजमार्ग और जहां पर निर्माण किया जा रहा है, उस संबंध में भविष्य की नीति के साथ काम करना चाहिए।
अधिकरण ने पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को इस संबंध में दो महीने के भीतर एक हलफनामा दाखिल करने को कहा। एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि राजमार्ग पर अवैध ढांचे द्वारा अतिक्रमण से पौधे लगाने की नीति को लागू करना कठिन हो गया है।
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हरित अधिकरण ने पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को राष्ट्रीय राजमार्ग के संबंध में भारतीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) से और राज्यों के राजमार्ग के संबंध में संबंधित राज्यों और केंद्रशासित क्षेत्रों से जरूरी आंकड़ा जुटाने को कहा। पीठ एक गैर सरकारी संगठन की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने एनजीटी के पांच सितंबर 2017 के आदेश की तामील की मांग की है जिसमें एनएचएआई ने अधिकरण को आश्वस्त किया था कि वह हरित राजमार्ग नीति का पालन करेगी।