रायपुर : छत्तीसगढ़ में पहले चरण के मतदान के बाद रूझान को लेकर आंकलन का दौर जारी है। बस्तर के धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में भारी मतदान के बाद आंकलन में ही पशोपेश की स्थिति बनी हुई है। भारी मतदान को लेकर पहले सत्ता के खिलाफ एंटी इंकमबेंसी फैक्टर माना जाता रहा है। वहीं विश्लेषक इस मामले में स्थानीय विधायकों के प्रति नाराजगी को भी जोड़ते रहे हैं।
इसके बावजूद कई तरह के सवाल भी उठ रहे हैं। बस्तर में कांग्रेस के विधायक पिछली बाद अधिक संख्या में जीते थे। ऐसी स्थिति में कांग्रेस के खिलाफ वोट को लेकर भी दावे हैं। वहीं दूसरी ओर सरकार के खिलाफ एंटी इंकमबेंसी फैक्टर को लेकर भी वोट डाले जाने की अटकलें हैं। बस्तर में लगातार हिंसक घटनाओं के बीच पहले चरण में मतदान का प्रतिशत आश्चर्यजनक ढंग से बढ़ा है।
ऐसी स्थिति में कई तरह की आशंकाओं के साथ सवाल भी उठ रहे हैं। कांग्रेस ने बस्तर के कुछ कलेक्टरों के साथ मशीनरी के दुरूपयोग और ईवीएम में गड़बड़ी पर सवाल उठाए थे। देर रात अनंतिम आंकड़े आने के बाद हैरानी वाले आंकड़े सामने आए हैं। कई सीटों में भीतरी क्षेत्रों को धुर नक्सल प्रभावित माना जाता रहा है।
ऐसे में वहां मतदान का प्रतिशत बढऩा भी कई तरह की चर्चाओं को सामने ला रहा है। जबकि खुफिया रिपोर्ट में कांग्रेस को बस्तर में बढ़त मिलने की रिपोर्ट से सत्ताधारी दल की नींद उड़ी थी। राजनांदगांव जिले की सीटों में भी इसी तरह की स्थिति नजर आ रही है। ऐसे में प्रेक्षकों को आंकलन करना भी मुश्किल हो रहा है। इधर बस्तर में कई सीटों में विशेष तौर पर संवेदनशील बूथों में ईवीएम में गड़बड़ी को लेकर भी आशंकाएं हैं। कांग्रेस ने तो भानुप्रतापपुर विधानसभा क्षेत्र में दोबारा मतदान की मांग उठा दी है। चुनाव आयोग इस मांग पर अभी मौन साधे हुए हैं। अब दूसरे चरण की सीटों में नए सिरे से रणनीति के तहत राजनीतिक दल समर में उतरेंगे।