नई दिल्ली : दिल्ली के 1731 अनधिकृत कॉलोनियों में से 800 अनधिकृत कॉलोनियों के डिजिटल नक्शे तैयार हो चुके हैं। इनमें 350 से अधिक नक्शों को डीडीए की पोर्टल पर डाला जा चुका है। जिसपर आरडब्ल्यूए अपने सुझाव दे सकते हैं। दरअसल दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा द्वारा अनधिकृत कॉलोनियों को पक्का करने के मामले में निशाना साधा गया।
जिस पर जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने ट्वीट कर लिखा कि कांग्रेेस प्रदेश अध्यक्ष की जानकारी कच्ची है। उन्होंने लिखा कि 1977 में तत्कालीन केंद्र सरकार ने कच्ची कॉलोनियों को अधिकृत करने के लिए आॅर्डर निकला था, जिसमें कहा गया था कि रिहायशी-व्यावसायिक सम्पत्तियों से डेवलपमेंट चार्ज लेकर अधिकृत किया जाएगा।
जो लोग सामुदायिक सुविधाओं, सड़कों तथा अन्य निषिद्ध जगहों पे रह रहे हैं उन्हें वहां से हटाकर कहीं और बसाया जाएगा। लेकिन भाजपा सरकार ने मजबूत कदम उठाए। ऐसा पहली बार है कि घर सरकारी ज़मीन पे हों या निजी ज़मीन पर, हम उनके मालिकों को मामूली भुगतान पर मालिकाना हक़ देंगे। यह भी पहली बार है कि इन मकानों की रजिस्ट्री/कवेयन्स डीड/ ऑथराइजेशन स्लिप दिखाने के आधार पर की जाएगी।
बनाए गए हैं 25 हेल्प डेस्क
हरदीप पुरी ने लिखा कि लोगों व आरडब्ल्यूए की मदद के लिए डीडीए द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में 25 हेल्प डेस्क स्थापित किये गए हैं। बहुत जल्द ही एक और पोर्टल शुरू हो जाएगा। इनकी मदद से लोग अपनी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं। हेल्प डेस्क पर न केवल लोगों के प्रश्नों का समाधान किया जाएगा। बल्कि आवेदकों को पोर्टल पर नि:शुल्क आवेदन अपलोड करने के लिए आवश्यक सहायता भी प्रदान की जाएगी।
यहां नहीं बना सकते घर
हरदीप पुरी ने लिखा कि अधिसूचित वन, स्मारकों के निषिद्ध क्षेत्र, यमुना नदी के आस पास ओ जोन, मास्टर प्लान की सड़कें तथा वर्तमान में चालू सड़कें आदि जगहों पर घर नहीं बनाए जा सकते। उन्होंने कहा कि कच्ची कॉलोनियों की लगभग 9 फीसदी आबादी ऐसे क्षेत्रों में बसी है। हरदीप पुरी ने कहा कि 66 कॉलोनियां, जहां समाज के समृद्ध लोग रहते हैं, उनको मालिकाना हक देने के लिए सरकार बाद में अलग से नीति अधिसूचित करेगी।