दिल्ली उच्च न्यायालय ने अयोग्यता सुनवाई से विधानसभा अध्यक्ष को अलग रखने की मांग को लेकर आप विधायक अनिल बाजपेयी और कर्नल देवेंद्र सहरावत की याचिकाएं सोमवार को ठुकरा दी। न्यायमूर्ति विभू बखरू ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष राम निवास गोयल द्वारा अपनायी गयी प्रक्रिया में कोई ‘‘विसंगति’’ नहीं है और विधायकों की याचिकाएं खारिज कर दी।
अदालत ने कहा कि ऐसा कोई कानून नहीं है जिसमें कहा गया हो कि विधानसभाध्यक्ष को अलग-अलग फैसला करना है और कहा कि वह समूचे मामले पर समग्रता से फैसला कर सकते हैं। हालांकि, अदालत ने कहा कि विधानसभाध्यक्ष याचिकाकर्ताओं (विधायकों) के सभी मसले का समाधन करेंगे। अदालत ने कहा कि विधनसभाध्यक्ष की ओर कहा गया गया है कि दल बदल कानून के तहत अयोग्यता की मांग वाली याचिका पर विधायकों को जारी नोटिस पर अपना जवाब देने के लिए दो और दिन का समय दिया जाएगा।
आप विधायक सौरभ भारद्वाज ने 10 जून को याचिका दायर कर भाजपा से जुड़ने के कारण दल बदल कानून के तहत उन्हें अयोग्य ठहराने की मांग की थी । विधानसभाध्यक्ष ने 17 जून को दोनों विधायकों को नोटिस जारी कर आठ जुलाई को अपना जवाब दाखिल करने को कहा था ।
उच्च न्यायालय में कार्यवाही के दौरान बाजपेयी और सहरावत के वकीलों ने अदालत से कहा कि विधानसभा अध्यक्ष का किसी पार्टी के प्रति झुकाव नहीं होता है लेकिन पार्टी के कई कार्यक्रमों में हिस्सा लेते हुए देखे गए हैं । उन्होंने आरोप लगाया कि ऐसी स्थिति में अध्यक्ष अयोग्यता सुनवाई पर निष्पक्षता से विचार नहीं कर पाएंगे और कहा कि मामला उपाध्यक्ष के पास भेजा जाए या एक कमेटी बनायी जाए ।