पटना सगुना मोड़ स्थित दृश्टिपुंज नेत्रालय की निदेषक डॉ निम्मी रानी, ने केटारेक्ट से ग्रसित 32 वर्शीय एक महिला मरीज को ट्राईफोकल आई ओ एल इंप्लांट कर बिहार की प्रथम वीमेन ऑप्थेलोमोलॉजिस्ट होने का गौरव हासिल किया है। यह सर्जरी दृश्टिपुंज नेत्रालय में की गई। मरीज अब पहले से काफी बेहतर है और अब उसे नजदीक या दूर देखने के लिए किसी प्रकार के चष्मे की जरुरत नहीं पडेगी। इस संबंध में दृष्टिपुंज नेत्रालय की निदेषक डॉ निम्मी रानी, ने बताया कि ट्राईफोकल आई ओ एल इंप्लांट के लिए काफी सावधानी बरतनी पडती है।
इसमें प्रॉपर मरीज का सेलेक्षन, कॉर्निया, प्युपिल ,रेटिना और ऑप्टिक नर्व नॉर्मल रहना चाहिए। इस संबंध में रेटिना विषेषज्ञ डा0 सत्यप्रकाष तिवारी ने बताया कि पहली बार दृष्टिपुंज नेत्रालय में लेटेस्ट तकनीक के प्रयोग से उन्हें अपनी टीम पर गर्व है।
ग्लुकोमा विषेशज्ञ डॉ0 रणधीर झा ने कहा कि सगुना मोड़ स्थित डी.एस. बिजनेस पार्क के दूसरे तल्ले पर दृष्टिपुंज नेत्रालय में उपलब्ध सेवाएं बिहार के मरीजों के लिए काफी उपयोगी साबित हो रही है और आंख की जटिल से जटिल बीमारियों के लिए मरीजों को अब प्रदेष से बाहर जाने की जरुरत नहीं पडेगी।
रेटिना (आंख के पर्दे) के इलाज के लिए दुनिया की सर्वश्रेश्ठ मषीन एल्कॉन यू.एस.ए. कॉस्टेलेषन मषीन आंख के पर्दे के मरीजों के लिए वरदान साबित हो रही है। दृश्टिपूंज नेत्रालय में पहले से भी स्वीट्जरलैण्ड की ओरटेली विट्रिओक्टोमी मषीन है और इस दूसरी मषीन से रेटिना से जुडी हर गंभीर बीमारी का इलाज अब पटना में ही संभव है।