नई दिल्ली : चुनाव को मिली मंजूरी तो क्या होगा कार्यकाल दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीएमसी) की कार्यकारिणी चुनाव को लेकर सोमवार को कमेटी के सदस्यों ने तीस हजारी कोर्ट में एक याचिका दायर की है। दिल्ली कमेटी के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष हरमीत सिंह कालका, पूर्व महासचिव मनजिन्दर सिंह सिरसा एवं कुलवंत सिंह बाठ सहित 30 सदस्यों सहित संजीव कुमार की अदालत में पेश हुए।
इन्होंने अदालत को जानकारी दी कि गत 19 जनवरी को दिल्ली कमेटी के जनरल हाउस की बैठक में सभी पदाधिकारियों एवं कार्यकािरणी बोर्ड के सभी सदस्यों के इस्तीफे मंजूर हो चुके हैं। समीक्षा याचिका दाखिल करते हुए कहा कि कमेटी के स्कूलों एवं कॉलेजों में एडमिशन चल रहे हैं जिससे कमेटी का बड़ा नुकसान एवं कामकाज प्रभावित हो रहा है, इसलिए चुनाव जरूरी है। वहीं सिरसा ने कहा कि हमारी याचिका को ध्यान में रखते हुए जज ने इस मामले पर गौर किया और अगली सुनवाई 23 जनवरी देते हुए हाथों-हाथ नोटिस देने की बात कही। वहीं उन्होंने कमेटी मेंबर गुरमीत सिंह शंटी को अपील की कि यदि वे गुरुद्वारा प्रबंध में सुधार करने की बात करते हैं तो कोर्ट में न उलझकर दिल्ली कमेटी में नए कार्यकािरणी बोर्ड के चुनाव में हमारा साथ दें।
इससे पहले गुरमीत सिंह शंटी ने कोर्ट में एक याचिका लगाकर कहा था कि दिल्ली कमेटी समय से पहले कार्यकािरणी चुनाव कराने जा रही है जो एक्ट के खिलाफ है। इसके बाद अतिरिक्त जिला सेशन जज ने इस पर रोक लगा दी थी। दिल्ली कमेटी की कार्यकारिणी चुनाव कार्यकाल को लेकर फिलहाल असमंजस की स्थिति बनी हुई। अगर कोर्ट चुनाव कराने की इजाजत देती है तो इसका कार्यकाल दो माह या दो साल का होगा। इसपर चुनाव संबंधी जानकारों और कमेटी मेंबर्स के अलग-अलग राय हैं।
कमेटी के पूर्व महासचिव मनजिंदर सिंह सिरसा ने बताया कि गुरुद्वारा कमेटी एक्ट में यह प्रावधान है कि दो माह पूर्व कार्यकारिणी चुनाव किया जा सकता है। वहीं गुरुद्वारा चुनाव मामले के जानकारी इंद्र मोहन सिंह की माने तो कार्यकारी बोर्ड की अवधि मौजूदा कार्यकाल समाप्त होने अर्थात 29 मार्च 2019 तक ही होगी। इसके पश्चात आगामी दो साल के लिए पुनः चुनाव करवाने अनिवार्य होंगे। नियमों के अनुसार कार्यकारी बोर्ड के कार्यकाल को घटाने की ताकत न तो दिल्ली कमेटी के कार्यकारी बोर्ड को है तथा न ही जनरल हाउस के पास, यहां तक कि सरकार भी इस कार्यकाल को नहीं घटा सकती है।