नई दिल्ली : दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में शैक्षणिक सत्र 2019-20 के लिए दाखिला प्रक्रिया जारी है। पहली कट ऑफ लिस्ट में ही कुल सीटों की लगभग 40 फीसदी सीटें फुल हो चुकी हैं। जिसमें नॉर्थ कैंपस की ज्यादातार कॉलेजों की लोकप्रिय पाठ्यक्रमों की सीटें भर गई हैं। जिसे ध्यान में रखते हुए दूसरी कटऑफ में नामांकन लेने के लिए छात्रों की संख्या यहां कम दिखाई दिया।
गुरुवार को सुबह से ही पूर्वी दिल्ली के कॉलेजों और साउथ के कुछ कॉलेजों में छात्रों की भीड़ दिखाई दी। इनमें श्यामलाल, विवेकानंद, रामानुजन, पीजीडीएवी, खालसा (सांध्य) आदि शामिल हैं। डीयू की अंडर ग्रेजुएशन की 61500 सीटों में से 23266 दाखिले हुए हैं। यानी करीब 62 फीसदी सीटों के लिए दूसरी कटऑफ में दाखिले होने हैं। ऐसे में राजनीतिक साइंस, बीकॉम ऑनर्स, इतिहास, बीए इकॉनोमिक्स आदि पाठ्यक्रमों में दाखिले फुल हैं। कई कॉलेजों में और भी ज्यादा सीटें अलग-अलग कोर्सों में मिलेंगी।
हिंदू कॉलेज, लेडी श्रीराम कॉलेज, मिरांडा समेत कुछ कॉलेजों में तो इकनॉमिक्स, इंग्लिश, हिस्ट्री, बीकॉम, साइकोलॉजी जैसे प्रोग्राम के लिए जगह नहीं है लेकिन कई कॉलेजों में 40 प्रतिशत से भी कम दाखिले हुए हैं। नामी कॉलेजों में भी अभी प्रोग्राम में दाखिले होंगे। कुछ कॉलेजों में तो अभी 25 से 30 प्रतिशत सीटें भरी हैं। वहीं गुरुवार को कुछ दाखिले रद्द भी हुए हैं, जिसकी वजह से छात्रों को अपने मनपसंदीदा कॉलेज में दाखिला लेने का मौका अभी भी बरकरार है।
एनसीवेब में अभी भी है मौका… डीयू में हाई कटऑफ लिस्ट आने के बाद भी दिल्ली की छात्राओं के पास डीयू में पढ़ने का एक और मौका है। वह रेगुलर कॉलेज की तरह चलने वाले नॉन कॉलेजिएट वूमेन्स एजुकेशन बोर्ड (एनसीवेब) में एडमिशन ले सकती हैं। एनसीवेब में छात्राएं दाखिला ले सकती हैं। एनसीवेब में भी छात्राओं को एडमिशन कटऑफ लिस्ट के आधार पर मिलता है, जिसकी कटऑफ 80 फीसदी के ऊपर जाने का अनुमान जताया जा रहा है।
बता दें कि एनसीवेब की क्लास 26 कॉलेजों में आयोजित की जाती है। 26 कॉलेजों में एनसीवेब की है। एनसीवेब में एडमिशन को लेकर डिप्टी डायरेक्टर प्रोफेसर उमाशंकर ने बताया कि डीयू के रेगुलर कॉलेज में हाई कटऑफ के कारण अगर किसी छात्रा का डीयू के रेगुलर कॉलेज में एडमिशन नहीं हो पाता है तो भी उसके पास डीयू में पढ़ने का अवसर रहेगा।
डीयू दाखिले में दिक्कतों व फीस वृद्धि के खिलाफ डूसू का प्रदर्शन
डीयू ने ग्रेजुएशन में दाखिले के लिए दूसरी कटऑफ तो जारी कर दी है। लेकिन बीते दिनों साउथ बोर्ड के बच्चों के साथ हुई दिक्कत और स्पोर्ट्स ट्रायल के लिए हो रही देरी से छात्र और अभिभावकों को परेशानी हो रही है। साथ ही कई कॉलेजों की फीस वृद्धि आदि मुद्दों को लेकर गुरुवार को डीयू के नॉर्थ कैंपस में छात्रों ने प्रशासन के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन किया।
एबीवीपी और डूसू के बैनर तले छात्रों ने प्रदर्शन कर विरोध जताया। एबीवीपी के प्रदेश मंत्री सिद्धार्थ यादव ने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि फर्स्ट कटऑफ में जो परेशानी सामने आई उसकी पुनरावृत्ति शेष कट ऑफ में न हो इसके लिए जरूरी कदम उठाने की जरूरत है। वहीं डूसू अध्यक्ष शक्ति सिंह ने कहा कि डीयू के कई कॉलेजों में मनमाने ढंग से फीस वृद्धि हुई है, जो कि किसी भी प्रकार से हमें मान्य नहीं।
आईपी यूनिवर्सिटी में एमबीबीएस की सौ सीटें बढ़ी
मेडिकल की पढ़ाई करने की इच्छा रखने वाले अभ्यर्थियों के लिए अच्छी खबर है। दरअसल, दिल्ली की गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय (आईपी यूनिवर्सिटी) को अब एमबीबीएस के लिए और अतिरिक्त सौ सीटें राम मनोहर लोहिया मेडिकल कॉलेज से जोड़ा गया है। इसकी जानकारी गुरुवार को यूनिवर्सिटी प्रशासन की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के जरिए दी गई है। यूनिवर्सिटी इसी शैक्षणिक सत्र 2019-20 से एक नया मेडिकल कॉलेज (राम मनोहर लोहिया मेडिकल कॉलेज) यूनिवर्सिटी से जुड़ा है।
इस शैक्षणिक सत्र से यूनिवर्सिटी को सौ और सीटों की स्वीकृति मिली है। उक्त सीटों के लिए दाखिले की प्रक्रिया नीट प्रक्रिया से ही होगी। नीट की परीक्षा देने वाले छात्र आईपी यूनिवर्सिटी की काउंसिलिंग में हिस्सा ले सकेंगे। फिलहाल काउंसिलिंग की प्रक्रिया जारी है। ज्ञात हो कि इससे पहले भी आईपी यूनिवर्सिटी से चार मेडिकल कॉलेज जुड़े हैं, इनमें आर्मी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंस, डॉ.बीएसए हॉस्पिटल मेडिकल कॉलेज, एनडीएमसी मेडिकल कॉलेज, वीएमएमसी एंड एसजेएस और आरएमएल हॉस्पिटल शामिल हैं।
ये सभी कोर्स साढ़े पांच साल के होंगे। इनमें ईडब्ल्यूएस कोटा के नियम सरकार के नियमों के मुताबिक लागू होंगे। दिल्ली में जो भी उम्मीदवार नीट की तैयारी के बाद एडमिशन तलाश रहे हैं, उनके लिए ये एक अच्छा मौका साबित होगा। वो अब यूनिवर्सिटी में नीट की काउंसिलिंग के दौरान दाखिला ले सकेंगे। यूनिवर्सिटी में एमबीबीएस सीटों पर इन सरकारी मेडिकल कॉलेज की सीटों पर होने वाले दाखिले की फीस भी सरकार के अधीन मेडिकल कॉलेजों में तय फीस जितनी ही होती है।