नई दिल्ली : दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के फिजिकल एजुकेशन टीचर्स की सेवानिवृत्त आयु घटाए जाने के मामले को लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) के बैनर तले मंगलवार को शिक्षकों ने डीयू कुलपति के घर के बाहर धरना-प्रदर्शन किया। बताया गया है कि विवेकानंद कॉलेज की एक शिक्षिका व श्याम लाल कॉलेज के शिक्षक को 62 में सेवानिवृत्ति करने का प्रयत्न किया जा रहा है। इसके विरोध में विभिन्न कॉलेजों के फिजिकल एजुकेशन टीचर्स के साथ डूटा के अध्यक्ष डॉ. राजीव रे, उपाध्यक्ष सुधांशु कुमार, सचिव डॉ. विवेक कुमार चौधरी, सह सचिव आलोक पांडेय, प्रो. हंसराज सुमन, डॉ. अजय भागी आदि धरने में शामिल हुए।
इस बारे में डूटा के अध्यक्ष राजीव रे ने बताया कि डीयू की कार्यकारी परिषद ने अपने रेजुलेशन 10 नवंबर 1990 को 127 में फिजिकल एजुकेशन टीचर्स को लेक्चरर का दर्जा दिया है। इसी के आधार पर डीयू के कॉलेजों में इन्हें बतौर लेक्चरर की नियुक्तियां दी हैं। ऐसे में इन्हें 62 वर्ष में जबरन सेवानिवृत्ति करना गलत है। हम इसका विरोध करते हैं। वहीं आलोक पांडेय ने बताया कि डीयू के वीसी ने तानाशाही रवैया अपनाते हुए डीयू के शिक्षकों को शिक्षक न मानकर डायरेक्टर, फिजिकल एजुकेशन मानते हुए जबरदस्ती 62 वर्ष में रिटायर करने पर आमदा है।
जिसके खिलाफ हमारी लड़ाई आरपार की होगी। अकादमिक परिषद के पूर्व सदस्य प्रो. हंसराज ने बताया कि विवेकानंद और श्यामलाल कॉलेज (सांध्य) के नियमों की अवहेलना करते हुए क्रमशः डॉ. मीरा सूद और एस के तनेजा को 62 वर्ष की उम्र में ही जबरन सेवानिवृत्ति देना चाहते हैं। जबकि डीयू के इतिहास में आज तक कोई भी फिजिकल एजुकेशन के टीचर्स 65 साल से पहले सेवानिवृत्त नहीं हुए हैं।
उनका कहना है कि डीयू से पिछले तीन दशकों में 30 से अधिक शिक्षक 65 वर्ष में सेवानिवृत्त हो चुके हैं तो इनके साथ भेदभाव क्यों? उन्होंने बताया है कि फिजिकल एजुकेशन के टीचर्स को अन्य शिक्षकों की भांति माने जाने की मांग और उन्हें भी 65 साल में सेवानिवृत्ति करने की मांग को लेकर डूटा ने अपना दो घण्टे धरना प्रदर्शन वाइस चांसलर ऑफिस के सामने दिया।