आर्थिक तंगी के चलते उत्तरी दिल्ली नगर निगम छह अस्पतालों को केंद्र को सौंपना चाहती है, दिल्ली सरकार का दावा

दिल्ली सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट में एक बड़ा दावा किया है, सरकार के हाईकोर्ट में कहा कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम (उत्तरी डीएमसी) इस बात की वकालत कर रही है कि उसपर वित्तीय दबाव हैं, इसलिए उसका वार्षिक व्यय घटाने के लिए उसके छह अस्पताल केंद्र को सौंप दिये जाए।
आर्थिक तंगी के चलते उत्तरी दिल्ली नगर निगम छह अस्पतालों को केंद्र को सौंपना चाहती है, दिल्ली सरकार का दावा
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दिल्ली सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट में एक बड़ा दावा किया है, सरकार के हाईकोर्ट में कहा कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम (उत्तरी डीएमसी) इस बात की वकालत कर रही है कि उसपर वित्तीय दबाव हैं, इसलिए उसका वार्षिक व्यय घटाने के लिए उसके छह अस्पताल केंद्र को सौंप दिये जाए।
दिल्ली सरकार ने कहा कि यदि केंद्र इन अस्पतालों को लेने के लिए तैयार नहीं है तो आप सरकार इस बात को ध्यान में रखते हुए इन संस्थानों को चलाना चाहेगी कि '' स्वास्थ्य राज्य का विषय है।'' उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने हालांकि कहा कि यह नगर निकाय के आयुक्त द्वारा निगम सचिव के साथ किया गया आंतरिक संवाद था और यह स्पष्ट नहीं है कि निगम ने इस संबंध में कोई प्रस्ताव पारित किया है या नहीं, इस संबंध में स्थिति रिपोर्ट अदालत में पेश की जाएगी।
न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति जसमीन सिंह की पीठ से उत्तरी डीएमसी के वकील दिव्य प्रकाश पांडे ने कहा कि वह इस प्रस्ताव की वर्तमान स्थिति सामने लाते हुए रिपोर्ट पेश करेंगे और यह भी बतायेंगे कि इन छह अस्पतालों एवं मेडिकल कॉलेज को चलाने पर फिलहाल नगर निकाय को कितना खर्च वहन करना पड़ता है।
अदालत ने चार जून को अपने आदेश में कहा था कि यदि केंद्र सरकार को छह अस्पतालों एवं एक मेडिकल कॉलेज को अपने हाथों में लेने का ऐसा कोई प्रस्ताव मिला है तो वह इस प्रस्ताव की स्थिति पर रिपोर्ट पेश करे। मामले की अगली सुनवाई आठ जुलाई को होगी।
अदालत को दिल्ली सरकार ने उत्तरी डीएमसी के आयुक्त द्वारा निगम सचिव को भेजे गये उस पत्र में बताया, जिसमें हिंदू राव अस्पताल, कस्तूरबा अस्पतलाल, आरबीआईपीएम अस्पताल, गिरधारी लाल अस्पताल, एमवीआईडी अस्पताल और बालक राम अस्पताल को चलाने में 2014-17 के दौरान आये खर्च का विवरण है। दिल्ली सरकार के अनुसार कि इसमे कहा गया है कि इन अस्पतालों को चलाने में उत्तरी एमडीसी पर आने वाले सलाना 500/600 करोड़ रूपये का खर्च घटाने के लिए उन्हें केंद्र को सौंप दिया जाए।

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