माँ दुर्गाजी की सवारी नवरात्रा शुरू होने और सम्पन्न होने वाले दिन पर निर्भर करता है। इस सम्बन्ध में राष्ट्रीय सम्मान से अलंकृत व अखिल भारतीयस्तर पर ख्याति प्राप्त ज्योतिष योग शोध केंद्र बिहार के संस्थापक दैवज्ञ पंo आरo केo चौधरी ”बाबा-भागलपुर”, भविष्यवेता एवं हस्तरेखा विशेषज्ञ ने विवेचनोपरान्त बताया कि:- इस वर्ष आश्निन माह में माँ दुर्गा का आगमन नौका विहार की सवारी पर तथा प्रस्थान नर वाहन द्वारा होगा। नौका विहार से आगमन से वारिश की प्रबल सम्भवाना, जन-धन की हानि होने का आसार है तथा राजनीतिक अस्थिरता का भी योग प्रबल है। नर वाहन पर प्रस्थान करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होगी और शुभ कार्य के प्रति आमजनों का झुकाव होगा। शुभ कार्य में सफलता मिलेगी और कामनाओं की पूर्ति होगी।
इस बार आश्विन शुक्ल प्रतिपदा बुधवार 10 अक्टूबर 2018 से नवरात्रा आरम्भ होगा। प्रत्येक वर्ष माँ जगदम्बा के आगमन और प्रस्थान अलग-अलग वाहन से होता है। यदि रविवार और सोमवार को पूजा आरम्भ होती है तो उस वर्ष माँ दुर्गा हाथी पर आती है, शनिवार और मंगलवार को पूजा शुरू होने पर घोड़े पर, गुरुवार एवं शुक्रवार रहने पर माँ दुर्गा डोली पर तथा बुधवार के दिन पूजा शुरू होने पर नौका पर माँ दुर्गा आती हैं। माता के जाने के लिए निर्धारित सवारी के बारे में शास्त्रोंक्त मान्यता है कि विसर्जन के दिन यदि रविवार या सोमवार रहे तो माता भैंसे पर जाती हैं। शनिवार और मंगलवार को बिना वाहन के ही जाती है (स्वयं के चरणों से)। बुधवार और शुक्रवार को गज वाहन पर तथा गुरुवार रहने पर नर वाहन पर माँ दुर्गा प्रस्थान करती हैं। माँ दुर्गा के आगमन और प्रस्थान का प्रभाव कभी शुभ और कभी अशुभ होता है।
इस बार शारदीय नवरात्र आश्विन शुक्ल प्रतिपदा 10 अक्टूबर को चित्रा नक्षत्र वैधृति योग तुला राशि में कलश स्थापन और नवरात्र आरम्भ हो रहा है। काशी पंचांग के अनुसार बुधवार सुबह 07:56 मिनट पर और मिथिला पंचांग के अनुसार सुबह 07:51 मिनट तक है। अभिजीत मुहूर्त दिन में 11:37 मिनट से 12:23 मिनट के मध्यस्थ है। यह वृश्चिक राशि में पड़ रहा है। इस बार पहली पूजा से लगातार नौ दिनों तक माँ दुर्गा के नौ रूपों की अलग-अलग पूजा अर्चना होगी।
16 अक्टूबर 2018 मंगलवार को सप्तमी का प्रवेश काशी पंचांग के अनुसार सुबह:- 08:54 मिनट पर और मिथिला पंचांग के अनुसार सुबह:- 08:48 मिनट पर होगा। इस दिन माँ दुर्गा जी के पट खुलेगें, पत्रिका प्रवेश, निशा पूजा, माता का आवाह्न होगा। 17 अक्टूबर बुधवार को महा अष्टमी का प्रवेश काशी पंचांग के अनुसार 16 अक्टूबर मंगलवार दिन में 10:32 मिनट तक और मिथिला पंचांग के अनुसार दिन 10:27 मिनट तक है। महा अष्टमी का समापन क्रमशः काशी पंचांग बुधवार 17 अक्टूबर दिन 12:27 मिनट पर और मिथिला पंचांग के अनुसार दिन 12:22 मिनट पर है। 16 अक्टूबर मंगलवार को निशा पूजा दिन में 11:37 मिनट से 01:55 मिनट तक है। 18 अक्टूबर गुरुवार को महानवमी अपराह्न 02:32 मिनट तक है। इस दिन महानवमी पूजा, त्रिशूलनी पूजा, बलि और हवन-पूजन होगा। 19 अक्टूबर शुक्रवार को विजया दशमी है। इस दिन नीलकंठ पक्षी के दर्शन को शुभ माना जाता है। ऐसा शास्त्रोंक्त मत है।