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डूसू चुनाव : अदालत ने डीयू से छात्र नेताओं के साथ बहुत कठोर नहीं होने को कहा

डूसू चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों द्वारा सार्वजनिक संपत्तियों को विरूपित किये जाने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाये जाने का अनुरोध किया गया था।

पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरुण जेटली का जिक्र करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि छात्र नेताओं में से देश को महान नेता मिले हैं और छात्र संघ चुनाव के दौरान विश्वविद्यालय के अधिकारियों को उनकी गतिविधियों के लिए उन पर बहुत कठोर नहीं होना चाहिए।
जेटली का शनिवार को निधन हो गया था। सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) चुनाव के उम्मीदवारों के खिलाफ दीवानी और आपराधिक कार्रवाई शुरू करने के वास्ते अधिकारियों को निर्देश देने के तुरन्त बाद अपनी मौखिक टिप्पणी में अदालत ने यह बात कही। 
अदालत वर्ष 2017 में डूसू चुनाव के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को विरूपित करने से संबंधित एक मामले की सुनवाई कर रही थी। 
मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की एक पीठ ने जेटली का स्पष्ट उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘उन पर बहुत कठोर मत बनो। हर चीज पर प्रतिबंध मत लगाओ। छात्र नेताओं से, हम कभी-कभी देश के लिए महान नेता हासिल करते हैं। आप उदाहरणों को जानते हैं, आपने इसे कल देखा होगा।’’ 
जेटली 1970 के दशक में दिल्ली विश्वविद्यालय में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के छात्र कार्यकर्ता थे और 1974 में वह छात्र संघ के अध्यक्ष बने थे। 
भाजपा नेता जेटली का 24 अगस्त को यहां अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में निधन हो गया था। उनका अंतिम संस्कार रविवार को किया गया था। 
अदालत ने वकील प्रशांत मनचंदा द्वारा दायर एक जनहित याचिका का निस्तारण किया और कुछ निर्देश पारित किये। याचिका में डूसू चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों द्वारा सार्वजनिक संपत्तियों को विरूपित किये जाने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाये जाने का अनुरोध किया गया था। 
अदालत ने अपने आदेश में अधिकारियों को भविष्य में छात्र संघ चुनाव में संपत्तियों को विरूपित किये जाने से रोकने के वास्ते चुनाव प्रचार अभियान के लिए निर्धारित दिशा निर्देशों के बारे में छात्र नेताओं और संघ को सूचित करने के लिए कहा। 
पीठ ने कहा कि छात्रों को अदालत द्वारा पारित आदेशों के बारे में आगाह किया जाना चाहिए और इसके बाद सार्वजनिक संपत्ति या निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने में शामिल लोगों के खिलाफ कानून के अनुसार दीवानी और आपराधिक कार्रवाई शुरू की जानी चाहिए। 

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