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डूटा का विरोध प्रदर्शन जारी, आज परिवार संग शिक्षक रहेंगे मौजूद

डूटा के बैनर तले दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षकों का प्रदर्शन जारी है। डीयू कुलपति के दफ्तर के बाहर शिक्षक बीते चार दिनों से कड़ाके के ठंड के बावजूद खुले आसमान के नीचे बैठे हैं।

नई दिल्ली : दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) के बैनर तले दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) शिक्षकों का प्रदर्शन जारी है। डीयू कुलपति के दफ्तर के बाहर शिक्षक बीते चार दिनों से कड़ाके के ठंड के बावजूद खुले आसमान के नीचे बैठे हैं। इसी दौरान शनिवार को डूटा ने करीब तीन हजार से भी ज्यादा शिक्षकों की मौजूदगी में आमसभा का आयोजन किया। इस दौरान शिक्षकों ने समायोजन की अपनी लंबित मांग को लेकर प्रदर्शन जारी रखने पर सहमति जताई है। 
वहीं तय किया गया कि रविवार को सभी शिक्षक अपने परिवार के साथ धरना-प्रदर्शन स्थल, नॉर्थ कैंपस पहुंचकर अपनी बात रखें। आम सभा में आने वाले तीन दिनों का रोड मैप  रखा गया। इस बारे में डूटा अध्यक्ष राजीव रे ने बताया कि शिक्षक अपनी मांगों को लेकर रविवार को परिवार संग वीसी ऑफिस के बाहर इकट्ठा  होंगे। सोमवार दोपहर 12 बजे मंडी हाउस से लेकर संसद मार्ग तक मार्च निकाला जाएगा, वहीं मंगलवार को दोपहर दो बजे कैंपस में विशाल रैली का आयोजन किया जाएगा। इस दौरान उत्तर पुस्तिका मूल्यांकन का बहिष्कार जारी रहेगा। 
ज्ञात हो कि बुधवार से डूटा के आह्वान पर डीयू के शिक्षक अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। हड़ताल के पहले ही दिन शिक्षकों ने डीयू वीसी कार्यालय में जबरन घुसकर जमकर हंगामा किया था। शनिवार को आंदोलन की आगे की रणनीति बनाने और निर्णय लेने को लेकर डूटा द्वारा आयोजित आम सभा में बड़ी संख्या में शिक्षक शामिल हुए। 
वहीं डूटा उपाध्यक्ष आलोक रंजन पांडेय ने कहा कि डीयू में पढ़ा रहे शिक्षकों का समायोजन आवश्यक है, समायोजन के बाद ही शिक्षक मानसिक, आर्थिक और सामाजिक रूप से संबल होंगे। यह केवल 4500 लोगों के लिए लाभकारी न होकर लगभग 20,000 लोगों की रोजी-रोटी के लिए आवश्यक है।
शिक्षक बंटे कहा तदर्थ के नाम पर हो रही है राजनीति… 
उधर डीयू के शिक्षक इस आंदोलन को लेकर एक मत नहीं हैं। दरअसल शनिवार को डीयू के अतिथि शिक्षकों ने इस बारे में नॉर्थ कैंपस स्थित विवेकानंद मूर्ति के पास एक बैठक की। अतिथि शिक्षकों का आरोप है कि डूटा तदर्थ शिक्षकों को ढाल बनाकर अपनी राजनीति चमकाने की कोशिश में है। 
ये लोग अतिथि शिक्षकों को खत्म करने की बात कह रहे हैं। इनका कहना है कि  डूटा तदर्थ के समायोजन के बहाने अपने रुके हुए प्रमोशन और अन्य मुद्दों को साधना चाह रहे हैं। इनका कहना है कि अगर स्थिति ऐसी ही रही तो हम कोर्ट की तरफ रूख करने को मजबूर होंगे।

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