दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक अनोखा फैसला देते हुए यौन उत्पीड़न की फर्जी शिकायत दर्ज कराने वाली एक महिला पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया है जिसने अपने वरिष्ठ अधिकारी के खिलाफ यह मामला दायर करवाया था।
अदालत ने महिला की याचिका खारिज कर दी जिसमें वरिष्ठ अधिकारी को संदेह के आधार पर मिले लाभ को चुनौती दी गई थी।
अदालत ने कहा कि महिला की याचिका सुनवाई योग्य नहीं थी जिसमें उसने आंतरिक शिकायत समिति (आईसीसी) के 2012 के आदेश को चुनौती दी थी और अधिकारी को दिए जाने वाले सेवानिवृत्ति के लाभों को रोकने का निर्देश देने की मांग की थी।
न्यायमूर्ति जे आर मिधा ने कहा, “यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है जिसे याचिकाकर्ता (महिला) पर 50,000 रुपये के जुर्माने के साथ खारिज किया जाता है जिसे चार हफ्तों के भीतर दिल्ली उच्च न्यायालय के अधिवक्ता कल्याण न्यास में जमा कराने होंगे।”
अदालत ने कहा कि महिला जिस संस्था के लिए काम करती है वह “फर्जी शिकायत दायर करने” के लिए उसके खिलाफ कानून के अनुरूप कार्रवाई करने को स्वतंत्र है।