पूर्वी दिल्ली : क्या वाकई कोई महिला महज कॉल रिसीव न करने पर अपने प्रेमी के खिलाफ रेप जैसा संगीन केस दर्ज करा सकती है?, अगर नहीं तो आपको बता दें कि एक महिला ऐसा किया है। घटना ईस्ट डिस्ट्रिक्ट के गाजीपुर इलाके की है। खास बात ये रही कि केस दर्ज कराने के बाद महिला ने मजिस्ट्रेट के सामने दिए 164 के बयान में कबूल किया कि उसने झूठा केस दर्ज कराया था। इसके बाद मामले की कड़कड़डूमा कोर्ट में सुनवाई हुई तो एडिशनल सेशन जज (ईस्ट) सुरेंद्र कुमार शर्मा ने 25 वर्षीय आरोपी युवक को जमानत दे दी है। उधर, मामले की जांच अधिकारी ने केस दर्ज कराने वाली महिला के खिलाफ आईपीसी 182 के तहत कार्रवाई करने की बात कही है।
जानकारी के मुताबिक, वर्ष 2017 में गाजीपुर इलाके में एक 35 वर्षीय हिंदू महिला की 25 वर्षीय मुस्लिम युवक से दोस्ती हुई थी। कुछ ही समय बाद दोनों की दोस्ती प्यार में बदल गई थी और दोनों के बीच जिस्मानी रिश्ते भी बनने लगे थे। मगर अब महिला ने युवक से शादी की बात की तो युवक ने मजहब (धर्म) अलग होने की बात कहकर शादी करने से इंकार कर दिया। इस पर महिला ने गत 26 जून को युवक के खिलाफ थाने में शिकायत दे दी थी। पुलिस ने बुधवार को रेप समेत विभिन्न संबंधित धाराओं में केस दर्ज आरोपी को अरेस्ट कर लिया था।
इसके बाद आरोपी को कोर्ट में पेश किया गया था, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया था। आरोपी के एडवोकेट आर.के चौधरी ने बताया कि इसके बाद महिला के मजिस्ट्रेट के सामने 164 के बयान हुए थे तो उसने वहां बताया था कि आरोपी पिछले दो वर्षों से उसका अच्छा दोस्त था और वह दोनों रिलेशनशिप में थे। मगर अब आरोपी ने उसकी कॉल रिसीव नहीं की थी तो उसने उसने उसके खिलाफ झूठा केस दर्ज करा दिया था। इस आधार पर उन्होंने अपने मुवक्किल की जमानत याचिका कोर्ट में दायक की थी।