प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्र के तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त करने की शुक्रवार को अचानक घोषणा की और इन कानूनों के फायदे किसानों को नहीं समझा पाने के लिए जनता से माफी मांगी। गुरु नानक जयंती पर की गयी इस घोषणा का किसानों ने गर्मजोशी से स्वागत किया, लेकिन कहा कि संसद में जब तक कानूनों को वापस नहीं लिया जाता, तब तक आंदोलन चलता रहेगा। उन्होंने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी को लेकर कानून बनाने की मांग की।
प्रधानमंत्री मोदी ने उत्तर प्रदेश और पंजाब में अगले साल होने वाले महत्वपूर्ण विधानसभा चुनावों से कुछ महीने पहले एवं गुरू नानक जयंती के अवसर पर शुक्रवार सुबह देश को संबोधित करते हुए इसे नयी शुरुआत बताया तथा राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर डेरा डाले किसानों से घर वापसी की अपील की। किसान पिछले साल 26 नवंबर से प्रदर्शन कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘मैं आज देशवासियों से क्षमा मांगते हुए सच्चे मन से और पवित्र हृदय से कहना चाहता हूं कि शायद हमारी तपस्या में ही कोई कमी रही होगी, जिसके कारण दीपक के प्रकाश जैसा सत्य कुछ किसान भाइयों को हम समझा नहीं पाए हैं।’’ अंतिम सिख गुरू गोविंद सिंह को उद्धृत करते हुए प्रधानमंत्री ने कामना की कि उन्हें कभी अच्छे काम करने से रुकना नहीं पड़े।
उन्होंने कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) कानून, कृषि (सशक्तीकरण और संरक्षण) कीमत, अश्वासन और कृषि सेवा करार कानून तथा आवश्यक वस्तु संशोधन कानून, 2020 को वापस लेने की मांग को लेकर पंजाब के साथ ही हरियाणा और पश्चिम उत्तर प्रदेश के किसान आंदोलन कर रहे थे। इस दौरान करीब 700 लोगों की मौत हो गयी।
प्रधानमंत्री ने गुरु पर्व के अवसर पर अपने संबोधन में कहा, ‘‘आज गुरु नानक देव जी का पवित्र प्रकाश पर्व है। यह किसी को भी दोष देने का समय नहीं है। आज मैं आपको… पूरे देश को… यह बताने आया हूं कि हमने तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय लिया है। इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में, हम इन तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा कर देंगे।’’
उन्होंने आंदोलनरत किसानों से गुरु पर्व का हवाला देते हुए आग्रह किया, ‘‘अब आप अपने-अपने घर लौटें। अपने खेतों में लौटें। अपने परिवार के बीच लौटें। आइए…एक नयी शुरुआत करते हैं। नए सिरे से आगे बढ़ते हैं।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने अपने पांच दशक लंबे सार्वजनिक जीवन में किसानों की मुश्किलों और चुनौतियों को बहुत करीब से अनुभव किया है और इसी के मद्देनजर उनकी सरकार ने कृषि विकास एवं किसान कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी।