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जीत के दावे के साथ किसानों का आंदोलन खत्म, घरों को लौटे

चरण सिंह की भी प्रशंसा की जिन्हें व्यापक रूप से देश के किसानों के नायक के रूप में जाना जाता है और किसानों के एकजुट आने की सराहना की। 

केंद्र सरकार ने बुधवार तड़के राजधानी दिल्ली में किसानों को प्रवेश की अनुमति दे दी जिसके साथ ही किसानों ने अपना आंदोलन खत्म कर दिया। प्रदर्शनकारी किसानों व पुलिस बल के बीच लंबे समय तक चले गतिरोध के बाद केंद्र सरकार ने बुधवार तड़के उन्हें दिल्ली में प्रवेश की अनुमति दे दी। हजारों किसानों ने किसान घाट पहुंचने के बाद अपनी किसान क्रांति यात्रा की समाप्ति की घोषणा की। भारतीय किसान संघ (बीकेयू) के प्रमुख नरेश टिकैत के नेतृत्व में 400 ट्रैक्टरों में सवार हजारों किसान किसान घाट पहुंचे। टिकैत ने इसे किसानों की जीत बताया और कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के इरादे नाकाम हो गए हैं।

 किसान घाट पर तिकैत ने आईएएनएस को बताया, ‘किसान सभी कठिनाइयों के बावजूद डटे रहे। हम 12 दिनों से मार्च कर रहे थे। किसान थके हुए भी हैं। हम अपने अधिकारों की मांग जारी रखेंगे लेकिन फिलहाल के लिए हम मार्च को समाप्त कर रहे हैं।’ भाजपा विरोधी नारों के बीच किसान आधी रात करीब दो बजे किसान घाट पहुंचे। किसानों ने कहा कि वे केंद्र सरकार के साथ एक समझौते पर पहुंच गए हैं और उनके अनुसार उनकी सभी मांगे स्वीकार कर ली गई हैं।

उन्होंने बताया कि फसलों का मूल्य बढ़ाने की उनकी मुख्य मांग भी सरकार ने मान ली है। भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा, ‘इस मामले में आधिकारिक घोषणा सरकार द्वारा छह दिनों के अंदर कर दी जाएगी।’ सरकार ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश-दिल्ली सीमा पर पुलिस बल के साथ संघर्ष के दौरान क्षतिग्रस्त हुए ट्रैक्टरों की मरम्मत की लागत भी किसानों को देने का आश्वासन दिया है। किसानों ने भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ नारे लगाए। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की भी प्रशंसा की जिन्हें व्यापक रूप से देश के किसानों के नायक के रूप में जाना जाता है और किसानों के एकजुट आने की सराहना की।

प्रदर्शनकारी किसानों के शीर्ष नेतृत्व ने बाद में भीड़ को संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें भविष्य के संघर्षो में भी एकजुट होना होगा। बुधवार सुबह करीब 5.30 बजे किसानों ने किसान घाट से लौटना शुरू कर दिया। किसान 15 मांगों के चार्टर के साथ आए थे जिसमें ऋण माफी और फसलों के लिए उचित कीमतें शामिल हैं, जिन्हें वे बिना देरी के लागू करवाना चाहते हैं। प्रदर्शन कर रहे किसानों ने अपना मार्च 10 दिन पहले बीकेयू के नेतृत्व में हरिद्वार से शुरू किया था और मंगलवार को वे उत्तर प्रदेश-दिल्ली सीमा पर पहुंचे थे, जहां उन्हें रोकने के लिए भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई थी। मंगलवार को जब हजारों किसानों ने दिल्ली में प्रवेश की कोशिश की तो पुलिस ने उन्हें उत्तर प्रदेश-दिल्ली सीमा पर ही रोक दिया और उनकी पुलिस से झड़प हो गई, जिसमें कई किसान घायल हो गए।

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