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आंदोलन में दरारें दिखने के बीच किसान संगठनों ने बजट के दिन संसद मार्च की योजना रद्द की

केंद्र सरकार द्वारा लाये गए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन में दरारें दिखने के बीच बुधवार को किसान संगठनों ने एक फरवरी का प्रस्तावित संसद मार्च रद्द कर दिया।

केंद्र सरकार द्वारा लाये गए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन में दरारें दिखने के बीच बुधवार को किसान संगठनों ने एक फरवरी का प्रस्तावित संसद मार्च रद्द कर दिया। उसी दिन संसद में बजट पेश किया जाना है। किसान संगठनों का यह फैसला राष्ट्रीय राजधानी में ट्रैक्टर परेड के दौरान भारी हिंसा के एक दिन बाद आया है। एक दिन पहले हुयी हिंसा में करीब 400 पुलिस कर्मी घायल हो गए थे। 
किसान नेताओं ने हालांकि आरोप लगाया है कि मंगलवार की घटनाओं के पीछे एक साजिश थी और उन्होंने इस संबंध में जांच कराए जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों के खिलाफ उनका आंदोलन चलता रहेगा और 30 जनवरी को देश भर में जनसभाएं और भूख हड़ताल की जाएंगी। 
किसान नेता दर्शन पाल ने एक संवाददाता सम्मेलन में पुलिस पर भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगाते हुए कहा, ‘‘ट्रैक्टर परेड सरकारी साजिश से प्रभावित हुई थी। दीप सिद्धू आरएसएस का व्यक्ति है। पुलिस ने लाल किले पर धार्मिक झंडा फहराने के बाद उसे जाने दिया।’’ सिद्धू अभिनेता और भाजपा सांसद सनी देओल के पूर्व सहयोगी हैं। किसानों के आंदोलन का समर्थन करने को लेकर देओल ने दिसंबर में सिद्धू से खुद को अलग कर लिया था। 
पाल ने कहा, “हमने एक फरवरी को बजट के दिन संसद मार्च की अपनी योजना रद्द कर दी है। लेकिन हमारा आंदोलन जारी रहेगा और 30 जनवरी को देशभर में जनसभाएं और भूख हड़ताल की जाएंगी।’’ एक अन्य किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने दावा किया कि मंगलवार की परेड में दो लाख से अधिक ट्रैक्टरों के साथ लाखों लोगों ने भाग लिया और “99.9 प्रतिशत प्रदर्शनकारी शांत थे।’’ 
मंगलवार की हिंसक घटनाओं की व्यापक रूप से निंदा की गई है। हालांकि किसानों के विभिन्न संगठन आरोप लगा रहे हैं कि कृषि कानूनों के खिलाफ शांतिपूर्ण आंदोलन को बर्बाद करने के लिए “असामाजिक” तत्वों ने हिंसा की। लेकिन हिंसक घटनाओं का असर अब दिख रहा है और भारतीय किसान यूनियन (भानु) तथा अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे प्रदर्शनों से हटने का फैसला किया है। 
किसानों के आंदोलन का समर्थन कर रहे स्वराज इंडिया नेता योगेंद्र यादव ने कहा, “हमें लाल किले की घटना पर अफसोस है और हम इसकी नैतिक जिम्मेदारी स्वीकार करते हैं। इस घटना की जांच होनी चाहिए। इसके पीछे एक साजिश है।” 
यादव ने प्राथमिकी में किसान नेताओं के नाम के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा, “प्राथमिकी, जेल और प्रताड़ना आंदोलनों के पुरस्कार हैं।” एक अन्य किसान नेता शिवकुमार कक्का ने कहा, “हमारे पास वीडियो क्लिपिंग हैं और हम खुलासा करेंगे कि किस प्रकार हमारे आंदोलन को बदनाम करने की साजिश रची गई।” ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा के मामले में दर्ज एक प्राथमिकी में राकेश टिकैत, योगेंद्र यादव, दर्शन पाल और गुरनाम सिंह चढूनी सहित 37 किसान नेताओं के नाम लिए गए हैं। 

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