पश्चिमी दिल्ली : दिल्ली पुलिस के आदर्श नगर के एसएचओ समेत छह पुलिस वालों पर मामला दर्ज किया गया है। उनके ही खिलाफ उसी थाने में एफआईआर दर्ज करने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। यह मामला डीयू लॉ फैकल्टी के तृतीय वर्ष के एक छात्र को नंगा कर उसे पीटने व उसके खिलाफ जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करने के आरोप में दर्ज किया गया है।
पुलिस ने एचएचओ व थाने के पांच अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ आईपीसी की कई धाराओं व एससी/एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है। इससे पहले गुस्साए छात्रों ने थाने के बाहर प्रदर्शन किया। जिले की डीसीपी विजयंता आर्या ने बताया कि पूरे मामले की जांच के आदेश दिए गए हैं। जो भी तथ्य सामने आएंगे, उसके आधार पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। मामले की जांच डीआईयू सैल के एसीपी को सौंपी गई है।
पीड़ित डीयू लॉ फैकल्टी तृतीय वर्ष का छात्र है। उसने यह शिकायत दी कि गत 25 अगस्त को हेड कांस्टेबल मोहन लाल और कांस्टेबल सतेंद्र ने सया मोटर्स, लाल बाग के पास उसके भतीजे सहित तीन लोगों को जबरन उगाही के आरोप में पकड़ा था। इनमें से एक के पास से पुलिस ने अवैध हथियार भी बरामद किया था। इस दौरान पीड़ित के भतीजे ने उसे फोन कर पकड़े जाने की बात बताई थी।
इस पर पीड़ित थाने पहुंचा और अपने भतीजे की पैरवी करने लगा। पीड़ित का आरोप है कि इस दौरान एसएचओ आदर्श नगर एम.पी. सैनी और थाने के पांच अन्य पुलिसकर्मियों ने उसे थाने में नंगा कर उसकी जमकर पिटाई की और उसके साथ अमानवीय व्यवहार किया। उसका आरोप है कि पुलिसकर्मियों ने उसके खिलाफ जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए उसके गुप्तांग में प्लास्टिक का पाइप भी डाला और उसकी जमकर पिटाई की।वो किसी तरह पुलिसकर्मियों के चंगुल से छूटकर भागा।
छात्र ने अपना इलाज कराया और फिर घटना की जानकारी अपने दोस्तों को दी। इसके बाद पीड़ित ने इस बाबत दिल्ली पुलिस कमिश्नर, अनुसूति जाति जनजाति आयोग और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में शिकायत दी। पुलिस कमिश्नर ने इसपर संबंधित जिले के डीसीपी को तत्काल कार्रवाई कर मामले की जांच के आदेश दिए। इसके बाद मामला दर्ज कर लिया गया।
इस मामले की जांच डीआईयू को सौंपी गई है। डीसीपी का कहना है कि जांच रिपोर्ट आने के बाद ही आरोपों का पता चल पाएगा। बहरहाल शिकायत के आधार पर हमने कानून के दायरे में जो भी कार्रवाई बनती है, उसके तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
पुलिसकर्मिंयों ने दी थर्ड डिग्री
आरोप है कि पुलिसकर्मिंयों ने उसे पकड़ लिया। लात-घूंसे व थप्पड़ मारे। जातिसूचक गालियां देते हुए उसे ऊपर ले गए, जहां एक कमरे में बंद करके पुलिसकर्मिंयों ने थर्ड डिग्री देना शुरू कर दिया। उसकी पैंट उतार दी। नंगा करके टेबल पर उलटा लिटा दिया। हाथ पांव पकड़कर पिटाई करने लगे। गुप्तांगों में पाइप डाल दिया व मिर्ची डालने की धमकी दी।
साथ ही कहा कि एक कट्टा रखकर आर्म्स एक्ट में हमेशा के लिए बंद कर दिया जाएगा। थोड़ी देर बाद भतीजे को रूम में लाया गया। छात्र को बगल वाले रूम में ले गए। वहां कपड़े पहनने को दिए। फिर से भतीजे के सामने पीटना शुरू कर दिया। तभी आदर्श नगर थाने के एसएचओ वहां पहुंचा। उन्होंने भी जूते मरे। बाद में सादा कागज पर बयान लिखवाया कि उसे पूछताछ के लिए थाने बुलाया गया था, उसके साथ कुछ भी नहीं हुआ।
उसका मोबाइल भी पुलिस के कब्जे में था। इस बारे में छात्र ने पुलिस कमिश्नर, अनुसूचित जाति जनजाति आयोग, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, डीसीपी उत्तर-पश्चिम व एसीपी जहांगीरपुरी को लिखित शिकायत दी गई।