दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल की मॉर्फ्ड वीडियो अपलोड करने वाले अज्ञात वालों के खिलाफ सख्त कार्यवाही के रूप में एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया गया है। केजरीवाल के वीडियो को अपलोड करने और प्रसारित करने के लिए प्रासंगिक प्रावधानों के तहत एफआईआर दर्ज करने के लिए पुलिस से संपर्क किया गया था। शिकायतकर्ता का कहना है की वीडियो को गलत इरादों से बनाया गया है।
शिकायतकर्ता और वकील ने तर्क दिया कि वीडियो 12 फरवरी, 2020 को अपलोड किया गया था और 11 फरवरी, 2020 को दिल्ली विधानसभा चुनाव का परिणाम घोषित हुआ था। उनका कहना है की इस वीडियो का एकमात्र उद्देश्य मुख्यमंत्री केजरीवाल को अपमानित करना था। जो सभी के लिए हानिकारक है और खासकर बच्चों के लिए जो यह नहीं समझ सकते हैं कि यह मुख्यमंत्री नहीं है।
शिकायतकर्ता ने आगे कहा बच्चे जो यह पहचानने में असमर्थ हैं कि ये मॉर्फ्ड वीडियो है, वे मॉर्फ्ड वीडियो के गाने में इस्तेमाल किए गए अश्लील और अपमानजनक शब्दों को सकारात्मक तरीके से ग्रहण करते हैं, जैसे गलत तरीके से दिखाए गए वीडियो में वो अरविंद केजरीवाल ने ही गया हो।
यही सभी दलीलों से संतुष्ट होने के बाद कोर्ट ने दिल्ली के पश्चिम विहार (वेस्ट) थाना पुलिस को अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम के उपयुक्त प्रावधानों के तहत एक एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया है।