पटना : बिहार निषाद संघ के प्रदेश कार्यालय में संघीय सचिव मंडल की बैठक की अध्यक्षता करते हुए संघ के प्रदेश अध्यक्ष ई. हरेन्द्र प्रसाद निषाद ने कहा कि सरकार द्वारा प्रत्येक वर्ष मनाई जानेवाली विष्व मत्स्यिकी दिवस पर मछुआरों के लिए भी अनेक कल्याणकारी योजनाएं घोषित की जाती है। किन्तु जमीनी तौर पर पूर्णत: अमल नहीं होने से मछुआरे दुखित एवं आक्रोशित रहते हैं।
संघ के प्रधान सचिव रामाशीष चौधरी ने कहा कि बिहार के मछुआरों को निम्न प्रमुख समस्याओं का निदान शीघ्र होता है, तो मत्स्य उत्पादन में वृद्धि होकर दूसरे राज्यों से मछली मंगाने की नौबत नहीं आयेगी। प्रमुख समस्याऐं-परम्परागत मछुआ जाति का सूची जारीकर मत्स्यजीवी सहयोग समितियों से गैर मछुआ निष्कासित कर परम्परागत मछुआ को ही सदस्य बनाया जाय। मछुआरों को भी मत्स्य पालन में 90 प्रतिषत अनुदान दिया जाय। तालाबों को अतिक्रमण से मुक्त कराया जाय।
बिहार राज्य मछुआरा आयोग का पुनर्गठन शीघ्र हो। मत्स्य निदशक के पद पर किसी भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी को पस्थापित किया जाय। बिहार में पर्याप्त हेजरी का निर्माण कर मछुआरों को सस्ती दर पर मछली बीज दिया जाय। बिहार में ही मछली लेब्रोटरी व टे्रनिंग इन्स्टीच्यूट खोला जाय। संघ के महासचिव अवध कुमार चौधरी ने मछुआरों के हितार्थ संघर्ष जारी रखने की बात कही। बैठक में चरित्तर चौधरी, कृष्णा देवी, धीरेन्द्र कुमार निषाद, सुरेश प्रसाद सहनी, दिलीप कुमार निषाद, शशि भूषण कुमार, देशेश जलज मनोज सहनी, कैलाश सहनी, रघुनाथ महतो, विनोद सहनी सहित कई ने अपने-अपने विचार रखे।