पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा, अरूण शौरी और वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि कैग के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि संसद में पेश की गई उसकी रिपोर्ट में राफेल की कीमत का कोई जिक्र नहीं किया गया।
भूषण ने प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति एस. के. कौल तथा न्यायमूर्ति के. एम. जोसफ की पीठ से कहा कि सरकार ने खुद ही संसद में तीन बार राफेल की कीमत का जिक्र किया।
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उन्होंने कहा कि सरकार ने यहां तक कि मिराज लड़ाकू विमान के अपग्रेडेशन की कीमत बताई थी। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) के इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि लड़ाकू विमान की कीमत का जिक्र नहीं किया गया। यह चौंकाने वाला है। यह सरकार के आग्रह पर किया गया।
उन्होंने कहा कि यह कैग अधिनियम के खिलाफ है। गौरतलब है कि राफेल पर कैग की पूरी रिपोर्ट में उसकी असल कीमत का जिक्र ही नहीं है। जहां कीमत का उल्लेख है, वहां पर कोड के रूप में कुछ कूट शब्दों का इस्तेमाल किया गया है।