भारतीय टीम के पूर्व कप्तान और अपने बगावती तेवरों के लिए प्रसिद्ध बिशन बेदी ने दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। इसके साथ ही उन्होंने दिल्ली के अरुण जेटली स्टेडियम में स्टैंड से अपना नाम हटाने को कहा है। बिशन बेदी द्वारा लिया गया यह फैसला हैरान करने वाला है।
डीडीसीए अध्यक्ष रोहन जेटली को लिखे पत्र में बेदी ने कहा, मैं इस पत्र को भारी मन से लिख रहा हूं। हालांकि मैं जनता हूं कि किसी दिवंगत व्यक्ति में कुछ भी कहना अच्छा नहीं होता है। मुझे उम्मीद है कि आपको पता है कि मेरे दिवंगत अरुण जेटली से निजी संबंध किस प्रकार के थे और हमारे बीच मतभेद रहते थे। हमारी जान पहचान क्रिकेटर के रुप में नहीं हुई थी लेकिन वह डीडीसीए के अध्यक्ष थे। मुझे याद है जब उनके आवास पर बैठक के दौरान वह अप्रिय भाषा का उपयोग कर रहे एक व्यक्ति वहां से बाहर निकालने में असमर्थ दिखाई दे रहे थे तब मैं बीच में ही उस बैठक से चला गया था।’’
उन्होंने लिखा, ‘‘मैं आने वाली पीढ़ी के लिए लड़ाई लड़ने आगे नहीं आया हूं लेकिन मुझे यह भी सिखाया गया है कि अगर मैं एक दृष्टिकोण लेने में दृढ़ता से विश्वास करता हूं तो मुझे इसके साथ रहना चाहिए। डीडीसीए में चल रहा भाई-भतीजावाद एक दिन काफी गलत साबित होगा। आप उन सभी निर्णयों के लिए भी दोषी पाए जाते हैं और उनसे भाग नहीं सकते हैं तथा आप अपनी अनुपस्थिति का बहाना भी नहीं दे सकते। मैं अब आपके नेतृत्व में देख रहा हूं कि डीडीसीए में चापलूसी संस्कृति का दौर जारी है।’’
गौरतलब है कि कोटला स्टेडियम का नाम बदलकर पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली स्टेडियम कर दिया गया है। बेदी, रोहन की अध्यक्षता में डीडीसीए के काम से खुश नहीं हैं। रोहन डीडीसीए के पूर्व अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री दिवंगत अरुण जेटली के बेटे हैं। अरुण के खिलाफ बेदी ने 1999 में अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ा था।
संभवत: एक और कारण 2020-21 सीजन में दिल्ली की सीनियर चयन समिति का चयन भी हो सकता है। 60 साल की आयुसीमा के नियम ने दिल्ली और भारत के पूर्व खिलाड़ी कीर्ति आजाद को चयनकर्ता बनने की दौड़ से बाहर कर दिया। 61 साल के आजाद बेदी के काफी करीबी माने जाते हैं।