इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज रखने के बाद हिमाचल प्रदेश सरकार में स्वास्थ्य मंत्री विपिन परमार के ‘शिमला’ का नाम ‘श्यामला’ रखने के बयान से प्रदेश की सियासत हलचल मच गई है। विपिन परमार के बयान पर बोलते हुए पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने प्रदेश सरकार की तीखी आलोचना की और कहा सुलह का कोई व्यक्ति कैसे शिमला का नाम तय कर सकता है। कांगड़ा से संबध रखने वाले मंत्री शिमला का नाम बदलने की बातें कर रहे है। जो किसी को भी मान्य नहीं है।
पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह ने कहा कि सरकार के इस फैसले का सड़कों से लेकर सदन तक विरोध किया जाएगा, शिमला का नाम बदलना समय और धन की बर्बादी के सिवाए और कुछ नहीं है। प्रदेश की जयराम सरकार को विकास कार्यों में ध्यान देने की जरूरत है न कि नाम बदलने पर।
इलाहाबाद के बाद अब शिमला का बदला जा सकता है नाम, हो जाएगा ‘श्यामला’
वीरभद्र सिंह ने कहा कि शिमला का नाम बदलने से पर्यटन प्रभावित होगा। शिमला का नाम अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त है। ऐसे में क्या प्रदेश सरकार जिले का नाम भी बदलेगी? नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि बीजेपी सरकार किराया बढ़ौतरी, शिमला में पानी का संकट जैसे गंभीर मुद्दों से जनता का ध्यान हटाने के लिए ऐसे फैसले लेने का प्रयास कर रही है।
वहीं, कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सुखविद्रं सिंह सुक्खू ने भी सरकार के इस फैसले को लेकर राज्यव्यापी आन्दोलन करने की चेतावनी दी है। वीरभद्र सिंह ने कहा कि अगर सरकार ने नाम बदला तो कांग्रेस सत्ता में आने पर इसे फिर से शिमला कर देगी। नाम का बदलाव कांग्रेस कभी बर्दाश्त नहीं करेगी। अगर फिर भी बदला तो पार्टी जन आंदोलन छेड़ेगी।