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फोर्टिस हेल्थकेयर के पूर्व प्रमोटर शिविंदर सिंह को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में मिली जमानत

ईडी ने जमानत याचिका का यह कहकर विरोध किया था कि वर्तमान मामले में लेन-देन के जटिल नेटवर्क के जरिए धन का हेरफेर किया गया और कड़ी का पता लगाना आसान काम नहीं है।

फोर्टिस हेल्थकेयर के पूर्व प्रमोटर शिविंदर मोहन सिंह को रेलिगेयर फिनवेस्ट लिमिटेड (आरएफएल) के धन के कथित गबन से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने गुरुवार को जमानत दे दी। कोर्ट ने शिविंदर को एक करोड़ रुपये के निजी मुचलके पर जमानत को मंजूरी दी।
न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए आदेश सुनाते हुए शिविंदर को एक करोड़ रुपये के निजी मुचलके तथा परिवार के सदस्यों की ओर से पच्चीस-पच्चीस लाख रुपये की दो जमानत राशियों को जमा करने पर राहत प्रदान कर दी। 
न्यायाधीश ने प्रवर्तन निदेशालय के जांच अधिकारी को निर्देश दिया कि वह आव्रजन ब्यूरो से शिविंदर के नाम लुक आउट सर्कुलर (एलओसी) जारी करने का आग्रह करें जिससे कि उसे बिना सूचना के देश से बाहर जाने से रोका जा सके। हाई कोर्ट ने शिविंदर पर अन्य कई जमानत शर्तें भी लगाईं और कहा कि वह साक्ष्यों या गवाहों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर प्रभावित नहीं करेगा। 
उसे पिछले साल धनशोधन मामले में गिरफ्तार किया गया था। हाई कोर्ट ने शिविंदर और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद 16 जुलाई को जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। ईडी ने जमानत याचिका का यह कहकर विरोध किया था कि वर्तमान मामले में लेन-देन के जटिल नेटवर्क के जरिए धन का हेरफेर किया गया और कड़ी का पता लगाना आसान काम नहीं है। 
आरएफएल, रेलिगेयर एंटरप्राइजेज लिमिटेड (आरईएल) की एक समूह कंपनी है जिसका प्रवर्तन पूर्व में मलविंदर सिंह और उसका भाई शिविंदर सिंह करते थे। आर्थिक अपराध शाखा ने आरएफएल के मनप्रीत सूरी से शिविंदर, गोधवानी और अन्य के खिलाफ शिकायत मिलने के बाद पिछले साल मार्च में प्राथमिकी दर्ज की थी। शिकायत में आरोप लगाया गया था कि इन लोगों ने कंपनी का प्रबंधन करते समय लिए गए कर्ज का अन्य कंपनियों में निवेश कर दिया। ईडी ने इसके आधार पर धनशोधन का मामला दर्ज किया था।

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